राजदीप सिंह खैरा: इंटरव्यू से पहले पिता को खोया, पहाड़ जैसे दुख के साथ अपनी मेहनत के दमपर बने IAS

राजदीप सिंह खैरा: इंटरव्यू से पहले पिता को खोया, पहाड़ जैसे दुख के साथ अपनी मेहनत के दमपर बने IAS

जो लोग यूपीएससी एग्जाम क्रैक करने का सपना देखते हैं उनकी मेहनत स्तर आम किसी भी छात्र या अभ्यर्थी से बहुत ऊपर उठ जाता है. ऐसे लोग खुद को पूरी तरह से मेहनत की चिमनी में झोंक देते हैं. तभी तो ये मेहनत तप कर सफलता का रूप लेती है. डॉ राजदीप सिंह खैरा की कहानी भी कुछ ऐसी ही है.

एक एमबीबीएस जिसने आईएएस बनने का सपना देखा

28 वर्षीय राजदीप सिंह खैरा पहले लुधियाना, जमालपुर के सिविल हॉस्पिटल में मेडिकर ऑफिसर के पद पर कार्यरत थे. अपनी मेहनत के दम पर राजदीप ने अपना IAS ऑफिसर बनने का सपना पूरा किया. डॉ राजदीप ने लुधियाना के सेक्रेड हार्ट कॉन्वेंट स्कूल से 10वीं और 12वीं पास की. इसके बाद उन्होंने सरकारी मेडिकल कॉलेज और राजेंद्र हॉस्पिटल, पटियाला से एमबीबीएस किया. वह 2017 में कुम कलां, लुधियाना के सिविल हॉस्पिटल में मेडिकल ऑफिसर के रूप में कार्यरत हुए.

कहने के लिए मात्र ये कुछ शब्द हैं कि पहले राजदीप डॉक्टर थे और बाद में आईएएस बने लेकिन इन कुछ शब्दों के सच करने के लिए राजदीप को बहुत कुछ झेलना पड़ा. इंटरव्यू से कुछ समय पहले ही उन्होंने अपने पिता को खो दिया था. लेकिन इसके बावजूद उन्होंने हार नहीं मानी और इस पहाड़ जैसे दुख के साथ अपना इंटेरव्यू दिया.

पांचवें प्रयास में पूरा हुआ सपना

आईएएस की कुर्सी तक पहुंचने का सफर राजदीप के लिए आसान नहीं था. उन्हें यहां तक पहुंचने में 5 अटेम्पट लग गए. राजदीप सलेक्ट होने से पहले दो बार यूपीएसससी इंटरव्यू राउंड तक पहुंचे थे. ऐसी स्थिति में भी उन्होंने कभी हार नहीं मानी थी. उनका मानना रहा है कि ‘जब तक लक्ष्य प्राप्त ना हो जाए तब तक उसे छोड़ना नहीं चाहिए. कभी भी छोड़ना एक विकल्प नहीं होना चाहिए. हम सभी को कभी हार न मानने वाला रवैया रखना चाहिए. राजदीप ने कहटे हैं कि वह कई बार असफल हुए लेकिन तब तक कोशिश करते रहे जब तक वह सफल नहीं हो गए.

इंटरव्यू से पहले खो दिया पिता को

कोविड-19 महामारी के कारण दुनिया भर के लोगों ने अपनों की मौत का दुख झेला. राजदीप भी इन्हीं में से एक थे. दूसरी लहर आने के बाद मई 2021 में कोरोना के कारण राजदीप के पिता इस दुनिया को अलविदा कह गए. ये समय इनके लिए किस्मत की तरफ से ली जाने वाली परीक्षा साबित हुआ. एक तरफ पिता को खो देने का पहाड़ जैसा दुख था तो वहीं दूसरी तरफ यूपीएससी इंटरव्यू राउंड भी सामने था. चार बार एग्जाम और दो बार इंटरव्यू राउंड तक पहुंच चुके राजदीप के लिए ये मौका बड़ा था. वह अपने सपने को पूरा करने से सिर्फ एक कदम दूर थे. राजदीप ने अपने दुखों को समेटा और परेशानियों का डट कर सामना करते हुए इंटरव्यू दिया. उनकी इस लग्न और मेहनत ने इस बार पूरा रंग दिखाया और वह इंटरव्यू पास कर गए. राजदीप ने ऑल इंडिया 495वी रैंक हासिल की थी.

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