बैट खरीदने के पैसे नहीं थे, स्कूल से लौट बकरी चलाती थीं, घंटों प्रैक्टिस कर अनीषा सिलेक्शन पाईं

बैट खरीदने के पैसे नहीं थे, स्कूल से लौट बकरी चलाती थीं, घंटों प्रैक्टिस कर अनीषा सिलेक्शन पाईं

राजस्थान महिला अंडर-19 टीम की खिलाड़ी अनीषा बानो छोटे से गांव गानासर से निकलकर चैंलेंजर क्रिकेट ट्रॉफी के लिए सिलेक्ट हुई हैं. स्कूल से आने के बाद घर का काम करना और फिर बकरी चराने के बाद खाली समय में क्रिकेट खेलते हुए यहां तक का सफर तय की हैं.

अनीषा ने साल 2013 में ही क्रिकेट खेलने का निर्णय लिया. स्कूल, घर का काम और बकरी चराने के बाद मिले टाइम से वह प्रैक्टिस करती रहती थीं. इसमें साथ मिला उन्हें भाइयों का. शुरू में स्पिन बॉलर अनीषा झूलन गोस्वामी और जसप्रीत बुमराह से प्रभावित होकर पेस बॉलर बन गईं.

वह कहती हैं, शुरू में बैट खरीदने के पैसे नहीं थे. सभी मिलकर पैसे जुटाते थे और बैट आता था. रोज 5 से 6 घंटे प्रैक्टिस के बाद ही ग्राउंड छोड़ती थीं. गांव के लोग कहते थे कि लड़की होकर क्यों क्रिकेट खेल रही है.इसके बाद वह जयपुर ट्रॉयल देने पहुंची तो बेहतरीन गेंदबाजी देख उनका कैंप में सिलेक्शन हो गया. इसके बाद अंडर -19 राजस्थान टीम में शामिल हो गईं. उनका टार्गेट इंडिया के लिए क्रिकेट खेलना है.

[ डि‍सक्‍लेमर: यह न्‍यूज वेबसाइट से म‍िली जानकार‍ियों के आधार पर बनाई गई है. Lok Mantra अपनी तरफ से इसकी पुष्‍ट‍ि नहीं करता है. ]

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