हाथ से चिट्ठी लिखकर रतन टाटा के असिस्टेंट बने, निवेश और बिज़नेस टिप्स भी देते हैं

रतन टाटा एक ऐसा नाम है जो किसी परिचय का मोहताज नहीं है. एक ऐसा बिज़नेसमैन जो लाखों लोगों का Icon और प्रेरणास्त्रोत है. हर शख़्स रतन टाटा का व्यक्तित्व, हाव-भाव, आदतें आकर्षित करती हैं और उनकी बातों से हम कुछ न कुछ ज़रूर सीखते हैं. रतन टाटा ने न सिर्फ़ टाटा कंपनी को आसमानों से भी आगे पहुंचाया बल्कि ज़रूरतमंदों की मदद करने में भी कभी अपने हाथ पीछे नहीं किए. रतन टाटा यूं तो बेहद अमीर खानदान से हैं लेकिन उनका जीवन उतना ही साधारण है.
A charming scene with the unassuming #RatanTata on his 84th birthday pic.twitter.com/wkmm7jhCyZ
— Harsh Goenka (@hvgoenka) December 29, 2021
बीते 28 दिसंबर को रतन टाटा ने अपना 84वां जन्मदिन मनाया. Tata Son’s के Chairman Emeirtus ने सिर्फ़ एक मोमबत्ती और एक कप केक के साथ बेहद सादगी से अपना जन्मदिन मनाया. रतन टाटा के लिए कप केक और मोमबत्ती एक युवा लेकर पहुंचे थे. रतन टाटा के जन्मदिन का वीडियो वायरल हो गया. इस वीडियो में एक युवा उन्हें केक खिलाता और उनके कंधे पर हाथ रखता नज़र आ रहा है.
कौन है रतन टाटा के साथ दोस्ताना अंदाज़ में नज़र आने वाला युवा?
रतन टाटा के साथ नज़र आने वाले युवक का नाम शांतनु नायडू है. छोटी सी उम्र में ही नायडू वहां पहुंचे हैं जो बिज़नेस की दुनिया से ताल्लुक रखने वाले लोगों का सपना है.. मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो शांतनु, रतन टाटा को बिज़नेस और इन्वेस्टमेंट टिप्स भी देते हैं.
पुणे, महाराष्ट्र में 1993 में शांतनु का जन्म हुआ. वो एक भारतीय बिज़नेसमैन, इंजीनियर, जूनियर असिस्टेंट, सोशल मीडिया इंफ़्लुएंसर, लेखक और एंटरप्रेन्योर हैं. शांतनु टाटा ट्रस्ट में डिप्टी जनरल मैनेजर हैं. शांतनु ने कॉर्नेल यूनिवर्सिटी से एमबीए किया है और टाटा में काम करने वाले वो अपने परिवार की 5वीं पीढ़ी हैं.
शांतनु के LinkedIn प्रोफ़ाइल के अनुसार, वे सितंबर 2014 से टाटा ट्रस्ट के साथ काम कर रहे हैं. नायडू ने Tata Elxsi में बतौर Design Engineer भी काम किया है.
यूं शुरु हुआ टाटा का सफ़र
Humans of Bombay से बात-चीत में शांतनु ने बताया कि ग्रैजुएशन ख़त्म करने के बाद 2014 से वो टाटा ग्रुप के साथ काम करने लगे. एक शाम से लौटते हुए उन्हें एक कुत्ते का मृत शरीर सड़क के बीच पड़ा दिखा. एक स्ट्रे डॉग को उस हालत में देखकर शांतनु को बहुत तकलीफ़ हुई. उन्हें कुत्तों से प्रेम है और उन्हें पहले भी डॉग्स को रेस्क्यू किया था. शांतनु सड़क किनारे खड़े कुत्ते के शरीर को सड़क किनारे लाने की सोच रहे थे और तभी उन्हें एहसास हुआ कि उन्हें कुछ करना होगा.
शांतनु के शब्दों में, ‘मुझे पता था कि मुझे कुछ करना है. मैंने अपने कुछ दोस्तों को फ़ोन किया और रिफ़्लेक्टर्स लगा हुआ कॉलर डिज़ाइन किया. अगले दिन हमने कई स्ट्रे डॉग्स को कॉलर पहनाए और ये करके बहुत ज़्यादा अच्छा महूसस किया.’
शांतनु के नेक काम के चर्च हर तरफ़ चलने लगे और टाटा ग्रुप ऑफ़ कंपनीज़ के न्यूज़लेटर में भी इसके बारे में छपा. लोग शांतनु के कॉलर को ख़रीदना चाहते थे लेकिन उनके पास फ़ंडिंग नहीं थी. इस सबके दौरान शांतनु के पिता ने उन्हें रतन टाटा को ख़त लिखने की हिदायत दी.
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शांतनु ने बात-चीत के दौरान बताया, ‘मैं चिट्ठी लिखने में हिचकिचा रहा था फिर मैंने सोचा, क्यों नहीं? मैंने उन्हें हाथ से लिखकर एक चिट्ठी भेजी और मैं इस सबके बारे में भूल गया था.’
शांतनु के चिट्ठी भेजने के लगभग 2 महीने बाद उनकी क़िस्मत बदल गई. उन्हें रतन टाटा द्वारा साइन किया हुआ एक ख़त मिला. उस ख़त में लिखा था कि उनके काम से रतन टाटा बेहद ख़ुश हुए हैं और उनसे मिलना चाहते हैं. इसके कुछ दिन बाद शांतनु, मुंबई में रतना टाटा से मिले.
रतना टाटा का जीता दिल
2016 में शांतनु नायडु MBA के लिए कॉर्नेल यूनिवर्सिटी गए. एमबीए डिग्री हासिल करने के बाद वे 2018 में लौटे और टाटा ट्रस्ट्स के चेयरमैन ऑफ़िस में बतौर डिप्टी जनरल मैनेजर जॉइन किया. रतन टाटा भी शांतनु की नेकदिली और क्रिएटिव आइडियाज़ के फ़ैन हैं. कई मीडिया रिपोर्ट्स में ये कहा गया है कि रतन टाटा शांतनु से बिज़नेस और निवेश को लेकर सलाह लेते हैं. अपने काम से शांतनु नायडू ने रतन टाटा का दिल जीत लिया है.
इंस्टाग्राम के ज़रिए छात्रों को मोटिवेट करते हैं
शांतनु नायडू अपने इंस्टाग्राम हैंडल, ‘On Your Sparks’ के ज़रिए देशभर के ऐसे छात्रों को मोटिवेट करते हैं जो एंटरप्रेन्योरशिप के क्षेत्र में आने के बारे में सोचकर ही नर्वस हो जात हेैं. कोविड-19 लॉकडाउन के दौरान शांतनु ने ऑनलाइन बात-चीत- ‘On Your Sparks’ की शुरुआत की. हर रविवार को वे इंस्टाग्राम हैंडल पर लाइव आते हैं और हर जुड़ने वाले से 500 चार्ज करते हैं और ये फ़ंड स्ट्रे डॉग्स की मदद करने के लिए Motopaws को जाता है. आज Motopaws 20 शहरों और 4 देशों में फैल चुका है.
शांतनु ने रतन टाटा के साथ अपने ज़िन्दगी के सफ़र पर किताब भी लिखी है, ‘I came upon a lighthouse’. शांतनु ने बेहद कम उम्र में अपने क्रिएटिव आइडियाज़ और नेकदिली से देश के सबसे बड़े आयकन का दिल जीत लिया है. उनका सफ़र प्रेरणादायक है.
[ डिसक्लेमर: यह न्यूज वेबसाइट से मिली जानकारियों के आधार पर बनाई गई है. Lok Mantra अपनी तरफ से इसकी पुष्टि नहीं करता है. ]