आर्थिक तंगी के कारण भाई नहीं बन सका अफसर, तो रिक्शा चला बहन को बनाया डिप्टी कलेक्टर

आर्थिक तंगी के कारण भाई नहीं बन सका अफसर, तो रिक्शा चला बहन को बनाया डिप्टी कलेक्टर

करोड़ों युवा अफसर बनने का सपना देखते हैं। कई लोग अपने सपने को पूरा कर लेते हैं। जबकि कुछ लोगों का अफसर बनने का सपना अधूरा ही रहे जाता है। महाराष्ट्र के नांदेड़ में रहने वाली वसीमा शेख ने भी अफसर बनने का सपना देखा था और अपनी मेहनत के दम पर इस सपने को पूरा कर लिया है। हालांकि वसीमा शेख का कहना है कि वो अपने भाई की मदद से ही डिप्टी कलेक्टर बन सकी हैं। वसीमा शेख के अनुसार उनका भाई डिप्टी कलेक्टर बनना चाहता था। लेकिन पैसों की कमी के कारण उसका सपना अधूरा ही रहे गया।

 

वसीमा शेख बेहद ही गरीब परिवार से आती हैं। इनका परिवार कच्चे घर में रहता है। पिता मानसिक रुप से विकलांग है। जिसकी वजह से वो काम नहीं करते हैं। मां खेतों में मेहनत-मजदूरी करती है। जबकि बड़ा भाई रिक्शा चलाकर घर की जिम्मेदारी उठाता है। परिवार की इस आर्थिक हालात के कारण वसीमा शेख के भाई को अपनी पढ़ाई को बीच में ही छोड़ना पड़ा।

हालांकि उन्होंने अपनी बहन की पढ़ाई को नहीं रोका और उसे अफसर बनने के लिए प्रेरित किया। वहीं बहन की पढ़ाई पैसों की वजह से ना रुके इसके लिए वसीमा शेख के भाई ने रिक्शा चलाना शुरू कर दिया। जिसकी वजह से आज वसीमा शेख डिप्टी कलेक्टर बन बनाई हैं।

 

वसीमा शेख सेल्स टैक्स इंस्पेक्टर की पोस्ट पर चयनित हो चुकी थीं। लेकिन उनका सपना डिप्टी कलेक्टर बनने का था। वहीं अपने बहन के सपने को पूरा करने के लिए भाई ने दिन रात खूब मेहनत कर पैसे कमाएं।

वसीमा अपने परिवार में पहली ग्रेजुएट हैं और उनके अनुसार गरीबी क्या होती है, उन्होंने अपने परिवार में अच्छे से देखी है। वसीमा के मुताबिक मेरा सपना था कि मैं पढ़-लिखकर अपने परिवार के लिए कुछ सक सकूं। मेरा सपना पूरा हो गया।

वसीमा शेख को MPSC के रिजल्ट की लिस्ट में तीसर नंबर मिला है। वसीमा ने बताया कि उनका भाई भी अफसर बनना चाहता था, लेकिन आर्थिक तंगी के कारण ऐसा ना हो सका। भाई ने भी MPSC की तैयारी की थी। लेकिन पैसे न होने के कारण वो एग्जाम नहीं दे सका। वसीमा अपनी कामयाबी का सारा श्रेय भाई और मां को देती हैं। वसीमा के अनुसार मां ने खूब मेहनत की है और अगर भाई मुझे नहीं पढ़ाते..तो मैं अफसर नहीं बन पाती।

पैदल चलकर जाती थी स्कूल

वसीमा पैदल चलकर स्कूल जाया करती थी। वसीमा के अनुसार वो पढ़ने के लिए नांदेड़ से लगभग 5 किलोमीटर दूर जोशी सख वी नामक गांव में पैदल चलकर जाती थी। वसीमा ने मराठी मीडियम से 12वीं तक की शिक्षा हासिल की है। 10 वीं में इनके 90 प्रतिशत और 12 वीं में 95% अंक आए थे।

दादा दादी के साथ किया रहना शुरू

अपनी 12 वीं की परीक्षा खत्म करने के बाद वसीमा अपने दादा-दादी के साथ रहने लगीं। क्योंकि उनके गांव के आसपास कॉलेज नहीं था। दादा-दादी के गांव से वो रोज 1 किलोमीटर पैदल चलकर कंधार जाती थी और वहां से कॉलेज जाने के लिए बस पकड़ी थी।

साल 2015 में की शादी

वसीमा के परिवार में 4 बहनों और 2 भाइयों है। इनका एक अन्य भाई आर्टिफिशियल ज्वैलरी की दुकान चलता है। वहीं साल 2015 में वसीमा का निकाह हुआ था और इनके पति हैदर भी MPSC के एग्जाम की तैयारी कर रहे हैं।

[ डि‍सक्‍लेमर: यह न्‍यूज वेबसाइट से म‍िली जानकार‍ियों के आधार पर बनाई गई है. Lok Mantra अपनी तरफ से इसकी पुष्‍ट‍ि नहीं करता है. ]

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