क्या थी महाभारत की वो घटना जिसका हवाला दे कर Ukraine ने भारत से मांगी मदद? कहा ‘आपसे है उम्मीद’

क्या थी महाभारत की वो घटना जिसका हवाला दे कर Ukraine ने भारत से मांगी मदद? कहा ‘आपसे है उम्मीद’

रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध शुरू हो चुका है. मीडिया खबरों के अनुसार रूस के हमलों से यूक्रेन का काफी नुकसान हो रहा है. इसके साथ ही कई लोगों के मारे जाने की भी खबर है. इस युद्ध के परिणाम से यूक्रेन डरा हुआ है. यही वजह है कि ये देश दुनिया के अन्य देशों से उसका साथ देने की मांग कर रहा है. इसी बीच यूक्रेन ने महाभारत और चाणक्य का जिक्र करते हुए भारत से भी मदद की गुहार लगाई है.

यूक्रेन ने भारत से की मदद की अपील

यूक्रेन ने महाभारत के एक प्रसंग का जिक्र करते हुए भारत से इस युद्ध में हस्तक्षेप करने की मांग की है. भारत में यूक्रेन के राजदूत इगर पोलिखा ने महाभारत के एक प्रसंग की याद दिलाते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से कहा कि भारत रूस का मित्र है इसलिए पीएम मोदी से गुजारिश है कि वह रूस के साथ बातचीत कर इस तबाही को रोक दें. साथ ही उन्होंने कहा, ‘भारत का रूस के साथ अलग रिश्ता है. वह स्थिति को और बिगड़ने से बचाने में अहम भूमिका निभा सकते हैं.’

महाभारत के प्रसंग का किया जिक्र

महाभारत में एक प्रसंग है जब पांडवों और करवों के बीच कुरुक्षेत्र में होने वाले युद्ध से पहले श्रीकृष्ण शांतिदूत बनकर कौरवों से इस युद्ध को टालने की बात करने जाते हैं. नई दिल्ली में तैनात यूक्रेन के राजदूत ने इसी घटना का जिक्र किया है. उन्होंने कहा कि जो आज वो भारत से करने की गुजारिश कर रहे हैं ऐसा कई सालों पहले भी हो चुका है. सालों पहले शांतिपूर्ण तरीके से कुरुक्षेत्र युद्ध को रोकने की कोशिश की गई थी, हालांकि वो प्रयास सफल नहीं हो पाया था लेकिन हम आशा करते हैं कि इस स्थिति में यह वार्ता सफल होगी.’

जब श्रीकृष्ण पहुंचे थे शांतिदूत बनकर

यूक्रेन के राजदूत द्वारा महाभारत की जिस घटना का जिक्र किया गया है. वह श्रीकृष्ण द्वारा कौरवों के सामने शांति प्रस्ताव रखने की कोशिश थी. ये तब की बात है जब कौरवों और पांडवों के बीच कुरुक्षेत्र के मैदान में युद्ध होना लगभग तय हो चुका था. लेकिन श्रीकृष्ण को इस युद्ध के भयावह परिणाम दिख रहे थे. यही कारण ठा कि उन्होंने इस युद्ध को रोकने के लिए अंतिम प्रयास करने का मन बनाया और शांतिदूत बनकर कौरवों के पास गए. उन्होंने बड़ी विनम्रता से युद्ध रोकने की अपील की.

महाभारत के अनुसार कृष्ण कौरवों से युद्ध ना करने और पांडवों का वनवास पूरा होने पर उन्हें राज्य में हिस्सा देने की बात कहते हैं लेकिन कौरव श्रीकृष्ण की भी बात नहीं मानते और ऐसा करने के लिए राजी नहीं होते. इसके बाद श्रीकृष्ण राज्य का आधा हिस्सा ना सही केवल पांच गांव देने का विकल्प रखते हैं, लेकिन दुर्योधन उसने के लिए भी मना कर देता है.

दुर्योधन सिर्फ श्रीकृष्ण की शांतिवार्ता को अस्वीकार ही नहीं करता बल्कि उन्हें जंजीरों से बांध कर उन्हें कारागार में डालने की कोशिश भी करता है. श्रीकृष्ण अपनी विनम्रता भूल कर अपने विराट स्वरूप आ जाते हैं. यदि कौरव श्रीकृष्ण की बात मान लेते तो इतिहास का ये विध्वंसक युद्ध ना होता.

राजदूत ने चाणक्य का भी किया जिक्र

यूक्रेन भी इस घटना का जिक्र करते हुए भारत से शांतिदूत बन कर इस युद्ध को रोकने की विनती की है. इसके साथ ही राजदूत ने महा पंडित कहे जाने वाले चाणक्य का जिक्र करते हुए कहा कि ‘वह भारत में राजदूत हैं. उनके और उनके देश के लिए भारत महत्वपूर्ण है. भारत संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य बनना चाहता है.

भारत दुनिया में काफी प्रभावशाली देश है. उन्होंने कहा कि वह भारत के इतिहास से परिचित हैं. भारत के पास चाणक्य जैसे प्रतिभाशाली लोग रहे हैं, जिन्हें कौटिल्य भी कहा जाता है. 2400 साल पहले जब यूरोप में कोई सभ्यता नहीं थी, उन दिनों आपके पास ऐसे प्रतिभाशाली लोग थे.

[ डि‍सक्‍लेमर: यह न्‍यूज वेबसाइट से म‍िली जानकार‍ियों के आधार पर बनाई गई है. Lok Mantra अपनी तरफ से इसकी पुष्‍ट‍ि नहीं करता है. ]

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