इंजीनियरिंग के बाद चाय बेचना शुरू किया तो घर वालों ने विरोध किया, अब बीटेक चाय से हर महीने 1.5 लाख कमाई

कहते हैं- जब एक रास्ता बंद होता है, तब दूसरा रास्ता अपने आप खुल जाता है। इसका मतलब जब आप हिम्मत नहीं हारते तो मुश्किल से मुश्किल परिस्थिति भी आपको नहीं झुका सकती । ये पंक्तियां केरल के तीन दोस्तों पर सटीक बैठती हैं, जो कोरोना काल में नौकरी खोने के बाद हिम्मत नहीं हारे। उन तीनों ने मिलकर ‘B.Tech chai’ (बीटेक चाय) नाम से स्टार्टअप शुरू किया। आज पूरे देश में उनके ब्रांड की फ्रेंचाइजी की डिमांड है और वे हर महीने इससे 1.5 लाख की कमाई भी कर रहे हैं।
जितना अनोखा इस स्टार्टअप का नाम है, उतनी ही अनोखी यहां मिलने वाली चाय। ये चाय का स्टॉल तो केरल में है, लेकिन आपको यहां भारत के हर शहर की मशहूर चाय मिलती है। असम की चाय, पहाड़ों की बटर चाय से लेकर दार्जिलिंग चाय और कश्मीरी कहवा सहित करीब 100 तरह की चाय मिलती है। जिनका लुत्फ आप 5 रुपए से लेकर 50 रुपए में उठा सकते हैं।
कोरोना के दौरान हुई बीटेक चाय की शुरुआत
बीटेक चाय की शुरुआत करने वाले आनंदु अजय (25), मोहम्मद सैफी (25) और मोहम्मद शाहनवाज (28) केरल के कोल्लम जिले के पल्लीमुक्कू के रहने वाले हैं। इन तीनों ने केरल के यूनुस इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, कन्नानल्लूर से इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है।
कोरोना ने दुनिया के लोगों की तरह इन दोस्तों की भी जिंदगी बदल दी। लॉकडाउन के दौरान इन तीनों की नौकरी चली गई। तब इन लोगों ने मिलकर तय किया कि वो खुद का बिजनेस करेंगे।
आनंदु अजय बताते हैं, “कोरोना से पहले मैं byju’s में बतौर सेल्स एंड बिजनेस डेवलपमेंट काम कर रहा था। अच्छी पोस्ट और सैलरी होने के बावजूद कोरोना में हमने अपनी नौकरी खो दी। तब मेरा दोस्त मोहम्मद सैफी भी काफी परेशानियों से गुजर रहा था। हम दोनों ने मिलकर तय किया कि हम खुद का बिजनेस ही करेंगे। हमारे पास ज्यादा पैसे तो नहीं थे और न ही हम कोरोना के दौर में किसी तरह का रिस्क लेना चाहते थे। तो हमें टी स्टॉल का आइडिया सुझा। इसका कारण हम दोस्तों का ‘चाय प्रेम’ भी था।
उस दौरान सैफी के भाई शाहनवाज भी मिडिल ईस्ट में काम कर रहे थे। कोरोना की वजह से उन्हें घर आना पड़ा। इस तरह तीनों ने मिलकर बीटेक चाय की शुरुआत की।
इंजीनियर होकर चाय बेचने पर घर वाले नाखुश थे
चाय के बिजनेस शुरू करने को लेकर आनंदु के घर वाले काफी दुखी थी। उन्हें लग रहा था कि उनका बेटा इंजीनियरिंग की पढ़ाई के बाद चाय का स्टॉल पर कैसे काम कर सकता है?
आनंदु बताते हैं, “हम नौकरी जाने की वजह से पहले ही परेशान थे ऊपर से घरवालों को समझाना तो और भी मुश्किल था। मेरे मम्मी- पापा इस बात को एक्सेप्ट नहीं कर पा रहे थे कि उनका बेटा बीटेक ग्रेजुएट होने के बाद सड़क के किनारे चाय बेचेगा। मैं अपने फैसले पर अड़ा रहा और कुछ समय बाद, मेरी मम्मी मेरा साथ देने लगीं। वहीं पापा मुझे काफी नाराज थे।
बिजनेस शुरू करने से दोस्तों ने काफी रिसर्च किया और फिर प्लान तैयार कर दिया। फिर भी बिजनेस के लिए बड़ी चुनौती इन्वेस्टमेंट की आ रही थी। आनंदु के परिवार की तरफ से किसी भी तरह का आर्थिक सहयोग नहीं था। तीनों दोस्तों ने अपनी सेविंग और छोटी-छोटी रकम उधार लेकर 1.50 लाख रुपए इकट्ठे किए। और फिर 2021 अक्टूबर में B.Tech chai की शुरुआत कर दी।
यहां गिन्जा, नीलगिरी सहित 100 तरह की चाय हैं
आनंदु को चाय और खाने का काफी शौक है। इस वजह उन्होंने खुद ऐक्सपैरिमैंट करके कई तरह की चाय तैयार की हैं। उन्होंने 50 तरह की चाय से शुरुआत की और आज 100 तरह की चाय बनाते हैं।
आनंदु कहते हैं, “हमारे पास चाय की 100 से ज्यादा वैराइटी हैं। हालांकि, जब हमने शुरुआत की थी तब हमारे पास सिर्फ 50 तरह की ही चाय थीं। हमारी मसाला चाय, असम चाय , ग्रीन टी, बटर टी, कश्मीरी कहवा, शीर चाय, नीलगिरी चाय, दार्जिलिंग चाय के अलावा वनीला चाय, अनानास चाय, स्ट्रॉबेरी चाय, चॉकलेट चाय और पुदीना चाय सहित 100 तरह की चाय है। हमारे पास एक खास तरह की गिन्जा चाय भी है। जो काफी पॉपुलर है। इसे 10 तरह के मसालों और चार जड़ी-बूटियों को मिलाकर तैयार किया जाता है। गिन्जा चाय के लिए टॉप क्वालिटी के सीक्रेट मसाले मंगाए जाते हैं और इसे हम खुद तैयार करते हैं।”
बीटेक स्टॉल पर 5 रुपए की बेसिक चाय से लेकर 50 रुपए की केसर चाय मिलती है। इसके अलावा यहां पर केरल के खास तरह के स्नैक्स जैसे चट्टी पथिरी किलिकूडु, उन्नाकाया, एराची अदा, मट्टा पेटी का भी लुत्फ उठाया जा सकता है। आनंदु के अनुसार उनके स्टॉल पर मिलने वाले स्नैक्स ज्यादातर घर के बने होते हैं और आसपास की जगहों से मंगाए जाते हैं।
कोई काम छोटा नहीं होता
कई बार ये सुनने में आता है कि कोई काम छोटा या बड़ा नहीं होता। जितना ये बात कहने में आसान लगती है उतनी ही ये अपने जीवन में उतारनी होती है। आनंदु और उनके दोस्तों ने इस कथनी को साकार भी कर दिखाया।
आनंदु कहते हैं, “हमने जब इस बिजनेस की शुरुआत की तब घर वालों का साथ नहीं था। जो मिलता था वो हमने इस काम को न करने की सलाह देता था, क्योंकि ये काम उनकी नजर में छोटा था। हमने उन सभी लोगों को गलत साबित कर दिया, जो ये मानते थे कि अच्छी नौकरी पाने या सफल होने के लिए विदेश जाना जरूरी है। मेरा मानना है कि अगर आपके पास दिमाग है, तो आप अपने दम पर कुछ भी कर सकते हैं और सफल हो सकते हैं। चाहे आप कहीं भी हों। आज हम एक छोटे स्टॉल से हर दिन 5 हजार रुपए से ज्यादा कमा लेते हैं। इस तरह महीने की कमाई डेढ़ लाख रुपए के आस-पास हो जाती है।”
[ डिसक्लेमर: यह न्यूज वेबसाइट से मिली जानकारियों के आधार पर बनाई गई है. Lok Mantra अपनी तरफ से इसकी पुष्टि नहीं करता है. ]