20 सालो से गौशाला में गायों की सेवा कर रहे हैं खान चाचा! अब तक दे चुके है हजारो गायों को नया जीवन

एक बड़ी आबादी खुद को धर्म के सांचे में बांटी हुई दिखती है. लेकिन, उससे भी एक बहुत बड़ी आबादी धार्मिक एकता की मिसाल पेश करती है. ऐसी ही कहानी है खान चचा की, जिसे Humans of Bombay ने शेयर की है.
खान चचा साल 2000 में राजस्थान के जैसलमेर में काम करने पहुंचे थे. एक साल तक वह काम की तलाश करते रहे, लेकिन निराशा ही हाथ लगी. इसके बाद उन्हें एक गौशाला की जानकारी हुई, जहां हेल्पर की जरूरत थी.
खान चचा ने गौशाला की जॉब के लिए अप्लाई कर दिया. हालांकि, उसके पहले उन्हें गौशाला में काम करने का तजुर्बा नहीं था. लेकिन, फिर भी उन्हें नौकरी मिल गई. वह वहां काम करने वाले पहले मुश्लिम थे.
वह कहते हैं, मुझे कभी ऐसा नहीं लगा कि मैं कहीं और काम करता हूं. हम सबलोग भाइयों की तरह ही एक साथ काम करते हैं. हम सुबह 6 बजे काम शुरू करते हैं और गायों को रोटी खिलाते और फिर दूध निकालते हैं.
पहले उन्हें 1500 रुपये महीने मिलता था. 11 लोग परिवार में थे. फिर धीरे-धीरे गाय ही मेरा परिवार बन गई. मैंने अपने बच्चों को पढ़ाया. उनकी शादी की. 50 की उम्र में जिम्मेदारियां पूरी हो गईं. हज के लिए जाने के लिए पैसे जोड़ने लगा. लेकिन, साल 2019 में एक हादसे में एक बेटे की मौत हो गई. उसके दो बच्चे थे. सारा पैसा उसकी पढ़ाई में लगा दिया.
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खान चचा ने सारी बातें गौशाला में काम करने वाले भाइयों को बताई. उन्होंने 30 हजार को बंदोबस्त कर दिया. मेरे आंसू निकल गए. अब मैं उनके लिए कुछ कर पाऊं तो खुद को खुशनशीब समझूंगा.
[ डिसक्लेमर: यह न्यूज वेबसाइट से मिली जानकारियों के आधार पर बनाई गई है. Lok Mantra अपनी तरफ से इसकी पुष्टि नहीं करता है. ]