पोलियोग्रस्त पिता का बेटा जिसने 3 साल की उम्र में बड़ी बहन से सीखा शतरंज खेलना और रच दिया इतिहास

पोलियोग्रस्त पिता का बेटा जिसने 3 साल की उम्र में बड़ी बहन से सीखा शतरंज खेलना और रच दिया इतिहास

16 साल के शतरंज खिलाड़ी आर प्रगाननंदा ऑनलाइन रैपिड शतरंज टूर्नामेंट एयरथिंग्स मास्टर्स के आठवें दौर में नॉर्वे के वर्ल्ड चैम्पियन मैग्नस कार्लसन को हरा कर रातों-रात स्टार बन गए हैं.

विश्वनाथन आनंद और पी हरिकृष्णा के बाद प्रगाननंदा ऐसे तीसरे भारतीय हैं जिन्होंने विश्व चैंपियन कार्लसन को हराया है. ऐसे में हर कोई हमारे नए चैंपियन प्रगाननंदा के बारे में जानना चाहता है. तो चलिए जानते हैं कि कैसे शुरू हुआ प्रगाननंदा के शतरंग का सफर और कैसे वो यहां तक पहुंचे?

3 साल की उम्र में शतरंज खेलना शुरू किया

आर प्रगाननंदा के बारे में हैरान करने वाली बात ये है कि वह मात्र 3 साल की उम्र से शतरंज के मोहरों और चालों की उलझने सुलझा रहे हैं. शतरंज जैसे कठिन खेल खेलने की प्रेरणा उन्हें अपनी बड़ी बहन वैशाली से मिली है. वहीं प्रगाननंदा की बड़ी बहन की बात करें तो उन्हें घरवालों द्वारा ये शतरंज का खेल इसलिए सिखाया गया था कि वह अपना ज्यादा समय टीवी पर कार्टून देखते हुए ना बिताएं.

बहन से मिली शतरंज खेलने की प्रेरणा

प्रगाननंदा की बड़ी बहन 19 वर्षीय वैशाली भी एक महिला ग्रैंडमास्टर हैं. उन्होंने जब एक टूर्नामेंट जीता तब उनकी रूचि इस खेल के प्रति काफी बढ़ गई. इसके बाद उन्हें देख कर भाई प्रगाननंदा ने भी ये खेल खेलना शुरू किया. प्रगाननंदा के पिता रमेशबाबू पोलियो से ग्रसित हैं तथा एक बैंक में कार्यरत हैं.

ज्यादा टीवी ना देखें इसीलिए सिखाया शतरंज का खेल

उनके पिता और माता नागलक्ष्मी याद करते हैं कि ‘उन्होंने प्रगाननंदा की बड़ी बहन वैशाली को शतरंज से इसलिए जोड़ा जिससे कि उसके टीवी देखने के समय को कम किया जा सके. दोनों बच्चों को यह खेल पसंद आया और इसे जारी रखने का फैसला किया. उन्हें खुशी है कि दोनों खेल में सफल रहे हैं. इससे भी अहम बात यह है कि उन्हें खुशी है कि वे खेल को खेलने का लुत्फ उठा रहे हैं.

वहीं वैशाली ने मीडिया से कहा कि ‘जब वह लगभग छह साल की थी, तो काफी कार्टून देखती थीं. उनके माता पिता चाहते थे कि वह टेलीविजन से चिपकी ना रहें, इसलिए उन्होंने वैशाली का एडमिशन शतरंज और ड्राइंग की क्लास में करा दिया.’

पहले भी रच चुके हैं इतिहास

नार्वे के मैग्नस कार्लसन को हरा कर भले ही चेन्नई के प्रगाननंदा आज सुर्खियों में आए हों लेकिन उन्होंने 2018 में भी इतिहास रचा था. इस साल इन्होंने प्रतिष्ठित ग्रैंडमास्टर खिताब हासिल किया. इसके साथ ही प्रगाननंदा यह उपलब्धि हासिल करने वाले भारत के सबसे कम उम्र के और उस समय दुनिया में दूसरे सबसे कम उम्र के खिलाड़ी बन गए थे. फिलहाल प्रगाननंदा सबसे कम उम्र के ग्रैंडमास्टर की सूची में पांचवें स्थान पर हैं.

क्रिकेट के शौकीन हैं प्रगाननंदा

शतरंज के दिग्गज विश्वनाथन आनंद के प्रशंसक प्रगाननंदा को शतरंज के अलावा दूसरा कोई खेल पसंद है तो वो है क्रिकेट. तभी तो उन्हें जब भी समय मिलता है तो वह मैच खेलने के लिए जाते हैं. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार 16 साल के इस भारतीय ग्रैंड मास्‍टर ने मैच से रिलैक्‍स के लिए भारत और वेस्‍टइंडीज के बीच तीसरा और आखिरी टी20 मैच देखा था, जहां भारत ने जीत दर्ज की थी. इसके बाद ही वह कार्लसन के खिलाफ शतरंज की बाजी खेलने उतरे थे जहां उन्होंने जीत दर्ज कर इतिहास रच दिया.

[ डि‍सक्‍लेमर: यह न्‍यूज वेबसाइट से म‍िली जानकार‍ियों के आधार पर बनाई गई है. Lok Mantra अपनी तरफ से इसकी पुष्‍ट‍ि नहीं करता है. ]

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