जिसके पास ब्रिटेन के सभी बैंकों से ज़्यादा पैसा था, कुल संपत्ति थी 1000 बिलियन पाउंड

जिसके पास ब्रिटेन के सभी बैंकों से ज़्यादा पैसा था, कुल संपत्ति थी 1000 बिलियन पाउंड

आज अमेरिका को दुनिया में सबसे शक्तिशाली देश माना जाता है. कई ऐसे देश हैं जो आज भी अमेरिका के कर्ज तले दबे हुए हैं लेकिन क्या आप जानते हैं कि कभी भारत का एक अकेला शख्स दुनिया भर के देशों को कर्ज दिया करता था? जी हां, आपने बिल्कुल सही सुना, जगत सेठ नामक परिवार के कारण बंगाल का मुर्शिदाबाद व्यापारिक केंद्र हुआ करता था. तो चलिए जानते हैं भारत के इस सबसे अमीर घराने के बारे में:

17वीं शताब्दी में रखी गई थी इस घराने की नींव

इस चर्चित घराने की स्थापना सेठ माणिकचंद ने 17वीं शताब्दी में की थी. उनका जन्म राजस्थान के नागौर जिले के एक मारवाड़ी जैन परिवार में हुआ था. उनके पिता हीरानंद साहू ने बेहतर व्यवसाय की खोज में बिहार की राजधानी पटना का रुख किया और यहीं पर उन्होंने Saltpetre का बिजनेस शुरू किया. बताया जाता है कि उन्होंने ईस्ट इंडिया कंपनी को बहुत रुपए उधार दिए थे, साथ ही इस कम्पनी के साथ उनके बिजनेस रिलेशन भी बन गए थे.

1723 मिला जगत सेठ का टाइटल

माणिकचंद के इस घराने को ‘जगत सेठ’ का खिताब 1723 में मुग़ल बादशाह मुहम्मद शाह ने दिया था. बता दें कि जगत सेठ का मतलब था Banker of the World. ये एक तरह से एक टाइटल था. इसके बाद से ये पूरा घराना जगत सेठ के नाम से प्रसिद्ध हो गया. ये खिताब तो फतेह चंद को मिला था लेकिन इस घराने के संस्थापक सेठ मानिक चंद ही माने जाते हैं. उस दौर में ये घराना सबसे अमीर बैंकर घराना माना जाता था.

माणिक चन्द और बंगाल, बिहार और उड़ीसा के सूबेदार मुर्शिद क़ुली ख़ां गहरे मित्र थे. माणिक चंद इनके खजांची होने के साथ साथ सूबे का लगान भी जमा करते थे. इन्हीं दोनों ने मिलकर बंगाल की नयी राजधानी मुर्शिदाबाद को बसाया था. 1715 में मुग़ल सम्राट फ़र्रुख़सियर ने माणिक चंद को सेठ की उपाधि दी थी.

अंग्रेजों को हर साल देते थे 4 लाख का कर्ज

इस घराने की ढाका, पटना, दिल्ली सहित बंगाल और उत्तरी भारत के महत्वपूर्ण शहरों में ब्रांच थी. अपने मुख्यालय मुर्शिदाबाद से ऑपरेट होने वाले इस घराने का ईस्ट इंडिया कंपनी के साथ लोन, लोन की अदायगी, सर्राफ़ा की ख़रीद-बिक्री आदि का लेनदेन चलता था. सबसे खास बात ये थी इस घराने को बैंक ऑफ़ इंग्लैंड से कंपेयर किया जाता था. रिपोर्ट्स के अनुसार 1718 से 1757 तक ईस्ट इंडिया कंपनी जगत सेठ की फर्म से हर साल 4 लाख का लोन लेती थी.

1000 बिलियन पॉउंड संपत्ति थी

जगत सेठ घराने ने सबसे ज़्यादा संपत्ती फतेहचंद के दौर में जमा की. बताया जाता है कि उस समय इस घराने की कुल संपत्ति करीब 10,000,000 पाउंड थी. इसे आज के समय के अनुसार देखा जाए तो ये कुल 1000 बिलियन पाउंड के करीब होगी. ब्रिटिश सरकार के मौजूद दस्तावेजों में ये बताया गया है कि उस समय जगत सेठ घराने की कुल संपत्ति इंग्लैंड के सभी बैंकों की तुलना में अधिक थी. यहां तक कि 1720 के दशक में ब्रिटिश अर्थव्यवस्था जगत सेठ घराने की संपत्ति से कम थी.

2 से 3 हजार सैनिकों को इस संपत्ति की सुरक्षा के लिए रखा गया था. बता दें कि इस घराने की संपत्ति इतनी थी कि अविभाजित बंगाल की पूरी ज़मीन में लगभग आधा हिस्सा इस घराने का था. इसमें आज के दौर का असम, बांग्लादेश और पश्चिम बंगाल शामिल है.

अंग्रेजों के धोखे ने बर्बाद कर दिया ये घराना

भले ही उस जमाने में जगत सेठ घराने की तूती बोलती थी लेकिन कहते हैं ना अंत सबका निर्धारित होता है. इस घराने के अंत का कारण बना अंग्रेजों द्वारा दिया गया धोखा. जगत सेठ ने अंग्रेजों को काफी बड़ा कर्ज़ दे दिया था लेकिन बाद में अंग्रेज़ों ने इस बात से साफ इनकार कर दिया कि ईस्ट इंडिया कंपनी के ऊपर जगत सेठ का कोई कर्ज़ भी है. ये इस घराने के लिए बहुत बड़ा धक्का था. 1912 ई. तक अंग्रेजों की तरफ से इस घराने के सेठों को जगत सेठ की उपाधि के साथ थोड़ी-बहुत पेंशन मिलती रही. लेकिन बाद में यह पेंशन भी बंद हो गई. अब इस घराने के बारे में किसी को कोई जानकारी नहीं है.

[ डि‍सक्‍लेमर: यह न्‍यूज वेबसाइट से म‍िली जानकार‍ियों के आधार पर बनाई गई है. Lok Mantra अपनी तरफ से इसकी पुष्‍ट‍ि नहीं करता है. ]

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Don`t copy text!