मशरूम से पापड़, अचार और मिठाईयां…89 तरह के प्रोडक्ट बनाकार लाखों कमा रहे हैं Ashok Vashishtha

आज के दौर में किसी भी क्षेत्र में कामयाब होने के लिए सिर्फ़ मेहनत ही काफ़ी नहीं. आपके पास नई सोच भी होनी चाहिए. किसानी के क्षेत्र में अधिकतर किसान यही सोचते हैं कि उनके पास ज़्यादा विकल्प नहीं हैं, लेकिन हर किसान के पास अगर अशोक कुमार वशिष्ठ जैसी सोच हो तो उन्हें खेती में अधिक से अधिक विकल्प भी दिखेंगे और अच्छा खासा मुनाफा भी होगा. कैसे आइए जानते हैं:
अशोक कुमार वशिष्ठ कैसे शुरू की मशरूम की खेती
हरियाणा, जींद के रहने वाले अशोक कुमार वशिष्ठ ने केवल 10वीं तक पढ़ाई की. इसके बाद वो खेती-बाड़ी में ही लग गए. द बेटर इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार अशोक अपनी पांच एकड़ जमीन पर सामान्य खेती कर के अपने परिवार का भरण-पोषण करते थे. लेकिन वह अपने इस काम से संतुष्ट नहीं थे. वह खेती में कुछ प्रयोग करना चाहते थे. उनकी इस सोच को हकीकत की जमीन तब नसीब हुई जब 2007 में उन्हें मशरूम के बारे में पता चला. मशरूम के बारे में जानने के बाद अशोक ने फैसला किया कि वो इसकी खेती करेंगे.
अब समस्या ये थी कि उन्हें मशरूम की खेती के बारे में कोई जानकारी नहीं थी. ऐसे में उन्होंने सोनीपत में रहने वाले अपने उन परिचितों से संपर्क किया जिन्हें मशरूम के बारे में पता था. उन्हीं की सलाह पर अशोक ने मुरथल स्थित मशरूम रिसर्च सेंटर में वैज्ञानिकों से मुलाकात की और यहीं से डॉ. अजय सिंह यादव के अंडर मशरूम खेती की ट्रेनिंग लेने लगे. ट्रेनिंग के दौरान डॉ. यादव ने अशोक से कुछ ऐसा कहा कि उन्होंने अपने मन की सोच को पूरा करने की ज़िद ठान ली.
खंडहर हो चुके घर से शुरू किया अशोक ने अपना सफर
दरअसल, डॉ यादव ने उनसे कहा कि ‘ट्रेनिंग लेने बहुत लोग आते हैं लेकिन कोई भी ये काम शुरू नहीं करता.’ अशोक ने ऐसी बात सुनने के बाद मन ही मन ठान लिया था कि वह किसी भी हाल में मशरूम की खेती करेंगे और उसे सफल बनाएंगे. ट्रेनिंग के बाद अशोक ने अपने खंडहर हो चुके पुराने घर में मशरूम की यूनिट लगाई. पहली बार उनके हाथ सफलता नहीं लगी, लेकिन इस काम में इतनी लागत नहीं लगी थी जिससे कि वह दोबारा कोशिश ना करते.
ट्रेनिंग पूरी करने के बाद भी वह इसके बारे में सीखते रहे. उन्होंने कृषि विज्ञान केंद्र और कृषि विश्वविद्यालयों के वैज्ञानिकों से भी संपर्क बनाए रखा. जैसे जैसे इस बारे में उनकी जानकारी बढ़ती रही वैसे वैसे वो व्यवस्थित ढंग से मशरूम यूनिट सेटअप करते रहे. इस बिजनेस में मशरूम की मार्केटिंग भी उनके लिए एक चुनौती थी. क्योंकि उनके क्षेत्र के लोगों को मशरूम के बारे में कोई जानकारी ही नहीं थी. कई लोगों को तो लगता था कि मशरूम एक प्रकार का नॉनवेज है.
मशरूम से अचार, पापड़ और मिठाईयां, आदि तैयार कर दीं
ऐसे में अशोक ने न केवल लोगों को मशरूम के बारे में जागरूक किया बल्कि इसके साथ ही मशरूम की प्रोसेसिंग पर ट्रेनिंग प्रोग्राम्स लेकर मशरूम से तरह-तरह के उत्पाद बनाना भी सीखा. इसके अलावा अशोक ने घर पर ही मशरूम के तरह तरह के उत्पाद जैसे मशरूम की सब्जी, अचार आदी बनाए और उन्हें अपने परिचितों को खिलाना शुरू किया. इस तरह समय के साथ लोगों में उनके उत्पाद की मांग बढ़ने लगी.
[ डिसक्लेमर: यह न्यूज वेबसाइट से मिली जानकारियों के आधार पर बनाई गई है. Lok Mantra अपनी तरफ से इसकी पुष्टि नहीं करता है. ]