कौन हैं 70 साल के ‘कैनाल मैन’? दशरथ मांझी के बराबर है जज्बा, अकेले खोद रहे हैं 4 किमी लंबा कैनाल

कौन हैं 70 साल के ‘कैनाल मैन’? दशरथ मांझी के बराबर है जज्बा, अकेले खोद रहे हैं 4 किमी लंबा कैनाल

उम्र 70 लेकिन काम में जोश भरपूर

जागरण की खबर के मुताबिक 70 वर्षीय लौंगी भुईयां बिहार के नक्सल प्रभावित बांके बाज़ार प्रखंड के सुदूर लुटूआ पंचायत के जमुनिया आहर कोठिलवा गांव के रहने वाले हैं. वह सालों से जल संरक्षण को लेकर लगातार प्रयास कर रहे हैं. लौंगी इस बात के लिए हमेशा प्रयासरत रहते हैं कि उनके गांव में सिंचाई की दुरुस्त व्यवस्था हो.

अकेले दम पर खोद रहे हैं 3 किमी लंबी पईन

लौंगी का प्रयास इतना मजबूत है कि उन्हें कैनाल मैन के नाम से जाना जाने लगा है. वह सिर्फ बोलने में ही नहीं बल्कि करने में विश्वास रखते हैं. पहाड़ों से आने वाले पानी को सिंचाई के लिए अपने गांव तक पहुंचाने के मंसूबे से लौंगी खुद के दम पर तीन किमी. लंबी पइन की खुदाई में करने में लगे हुए हैं. इससे पहले भी वह पिछले साल तीन किमी. लंबी पइन की खुदाई कर चुके हैं. लौंगी पढ़े लिखे नहीं हैं लेकिन इसके बावजूद भी वह वर्षा जल के महत्व को अच्छे से समझते हैं. यही वजह है कि जिले के लोग उन्हें “कैनाल मैन” के नाम से जानते हैं.

लोग समझते हैं पागल

लौंगी भले ही अपने पूरे गांव के लिए ये प्रयास कर रहे हों लेकिन लोगों को उनकी मेहनत की कद्र नहीं. उन्हें हमेशा इस बात से तकलीफ होती है कि उनकी सोच के प्रति गांव के लोग या प्रतिनिधि, कोई भी गंभीर नहीं है. उनका कहना है कि गांव के लोग उन्हें पागल समझते हैं. उनका मानना है कि अगर उनकी बात पर सरकारी मुलाजिम और प्रतिनिधि ध्यान दे दें तो इलाका सिंचाई के लिए आत्मनिर्भर हो जाएगा.

लौंगी ने पईन की खुदाई के लिए 60 जंगली झूरी का डलिया बनाया है. वह हर रोज सुबह फाबड़ा और डलिया लेकर पईन खोदने निकल जाते हैं. लौंगी के लिए बुरी बात ये है कि गांव के लोग तो दूर उनके घर में रह रही उनकी पत्नी और पोती को भी उनकी मेहनत पर भरोसा नहीं है. लेकिन इन बातों से बेपरवाह लौंगी सिर्फ अपने काम में जुटे रहते हैं.

मिल रही है काम को सराहना

धीरे धीरे लौंगी के काम को सराहना मिलती दिख रही है. बांकेबाज़ार प्रखंड में मनरेगा के प्रोग्राम पदाधिकारी धीरज सिन्हा ने बीते दिनों लौंगी द्वारा बनाई जा रही पइन का निरीक्षण किया. वह लौंगी के काम से प्रभावित हुए और उनकी सराहना करते हुए इस काम को जनहित में बताया. उन्होंने ये भी कहा कि वह विभागीय स्तर से जो संभव होगा करेंगे.

भले ही कई लोग लौंगी को पागल कहते हों लेकिन बहुत से लोग उनकी सराहना भी करते हैं. गांव के कई लोग उनकी सोच की दशरथ मांझी की सोच से बराबरी करते हैं.

[ डि‍सक्‍लेमर: यह न्‍यूज वेबसाइट से म‍िली जानकार‍ियों के आधार पर बनाई गई है. Lok Mantra अपनी तरफ से इसकी पुष्‍ट‍ि नहीं करता है. ]

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