₹1 लाख लगाकर शुरू कर दें ये कारोबार, हर महीने होगी 8 लाख रुपये तक की कमाई, सरकार करेगी मदद

₹1 लाख लगाकर शुरू कर दें ये कारोबार, हर महीने होगी 8 लाख रुपये तक की कमाई, सरकार करेगी मदद

क्या आप अपनी बोरिंग नौकरी से ऊब चुके हैं? और अपना कारोबार शुरू करने का सोच रहे हैं तो आपके पास एक शानदार मौका है. जी हां…अगर अधिक पैसे कमाने के लिए अपना कारोबार शुरू करना चाहते हैं. तो आज हम आपको एक शानदार कारोबार के बारे में बता रहे हैं. जहां आप कम पैसे खर्च करके मोटी कमाई कर सकते हैं. इसके लिए सबसे अच्छा आइडिया है- खीरे की खेती. इससे आपको कम समय में अधिक पैसे कमाने का मौका मिल जाएगा.

खीरे की पैदावार शुरू कर कमाएं लाखों रुपए

बता दें कि इस फसल का समय चक्र 60 से 80 दिनों में पूरा होता है. वैसे तो खीरा गर्मी के मौसम में होता है. परंतु वर्षा ऋतु में खीरे की फसल अधिक होती है. खीरे की खेती सभी प्रकार की मिट्टी में की जा सकती है. खीरा की खेती के लिए भूमि का पी.एच. 5.5 से 6.8 तक अच्छा माना गया है. खीरे की खेती नदियों-तालाब के किनारे भी की जा सकती है. तो आइए जानते हैं खीरे की खेती का कारोबार कैसे करें?..

सरकार से सब्सिडी लेकर शुरू करें कारोबार

यूपी के एक किसान दुर्गाप्रसाद जो कि खीरे की खेती करके लाखों में कमा रहे हैं. वे कहते हैं खेती में मुनाफा कमाने के लिए अपने खेतों में खीरे की बुआई की और मात्र 4 महीने में 8 लाख रुपए कमाए है. इन्होंने अपने खेतो में नीदरलैंड के खीरे कि बुआई की थी. दुर्गाप्रसाद के मुताबिक, नीदरलैंड से इस प्रजाती खीरे के बीज मागवाकर बुआई करने वाले पहले किसान है.

इसमें खास बात यह कि इस प्रजाती के खीरो मे बीज नहीं होते है. जिसकी वजह से खीरे कि मांग बड़े-बड़े होटलों और रेस्त्रां खूब रहती है. दुर्गाप्रसाद बताते है कि वें उद्यान विभाग से 18 लाख रुपए की सब्सिडी लेकर खेत में ही सेडनेट हाउस बनवाया था. सब्सिडी लेने के बाद भी खुद से 6 लाख रुपए खर्च करने पड़े थे. इसके आलवा उन्होंने नीदरलैंड से 72 हजार रुपए के बीज मंगवाए. बीज बोने के 4 महीने बाद उन्होंने 8 लाख रुपए के खीरे बेचे.

क्यों डिमांड में है यह कारोबार

इस खीरे की खासियत कि इसकी कीमत आम खीरो के मुकाबले दो गुनी तक होती है. जहां देसी खीरा 20 रुपए प्रति किलो के हिसाब से बिक रहा है वहीं नीदरलैंड के बीज वाला यह खीरा 40 से 45 रुपए प्रति किलो के हिसाब से बिक रहा है. हालांकि, सभी तरह के खीरों की सालभर डिमांड रहती है. मार्केटिंग के लिए आप सोशल मीडिया का सहारा ले सकते हैं.

[ डि‍सक्‍लेमर: यह न्‍यूज वेबसाइट से म‍िली जानकार‍ियों के आधार पर बनाई गई है. Lok Mantra अपनी तरफ से इसकी पुष्‍ट‍ि नहीं करता है. ]

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