बच्चों को शिक्षित करने के लिए गांव में मिट्टी की दीवारों को बना दिया ब्लैकबोर्ड, लोग कर रहे प्रशंसा

शिक्षा एक ऐसी चीज है जिसको पाने के बाद कभी भी इंसान किसी से पीछे और कम नहीं रहता और उसके मान सम्मान में बढ़ोतरी होती ही है. शिक्षा के लिए जागरूक होना बहुत ज्यादा महत्वपूर्ण हो चुका है. क्योंकि हमारे भारत देश को स्वतंत्र हुए अब तक 70 वर्ष हो चुके हैं लेकिन फिर भी हमारे भारत देश में दूरदराज ऐसे इलाके हैं जहां शिक्षा की अभी भी कमी है और शिक्षा के अभाव में काफी संख्या में शिक्षित जनता की कमी को दूर करने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं. हमारी सरकार अपने तरीके से जनता को शिक्षित करने के लिए नए-नए तरीके और योजनाएं बनाते रहते है। अब झारखण्ड से एक मामला सामने आया है जहाँ लोगो को शिक्षित करने के लिए झारखंड के एक शिक्षक ने बहुत ही खास तरीका ढूंढ निकाला है जिसकी हर तरफ प्रशंसा की जा रही है।
आपको बतादे खबरों के अनुसार झारखंड के शिक्षक जिनका नाम सपन कुमार ने उनके गांव के बच्चों को शिक्षित करने के लिए सुविधा की कमी के चलते गांव की मिट्टी की दीवारों को ही ब्लैक बोर्ड में तब्दील कर दिया है। सपन कुमार झारखंड में ज़िला दुमका के दुमारथर गांव के ‘उतक्रमित माध्यमिक विद्यालय’ के प्रिंसिपल हैं। सपन कुमार के गांव में ज़्यादा तर लोगों के पास स्मार्टफोन भी नहीं है। दैनिक सुविधाओं का भी काफी अभाव है. इस सब्जी कारण गांव के बच्चों को पढ़ाने में कठनाइयो का सामना करना पड़ता है.
इसलिए सपन कुमार ने अपने गांव में बने हुए मिट्टी के घरों की दीवारों पर ब्लैक बोर्ड बनाकर उस पर ही बच्चों को पढ़ाने का तरीका ढूंढ निकाला है। बच्चों को पढ़ाने के लिए सपन कुमार के द्वारा किया गया यह अनोखा तरीका पूरे देश में तारीफ का विषय बना हुआ है.
वही आपको बतादे राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश नारायण सिंह ने भी सपन कुमार के इस मॉडल की प्रशंसा की है। हरिवंश नारायण सिंह ने सपन कुमार को इस मॉडल के साथ दिल्ली आने का न्योता दिया है। बताया जा रहा है कि हरिवंश नारायण सिंह इस मॉडल के विषय में राज्यसभा में भी सांसदों के बीच चर्चा करेंगे। खबरों के अनुसार सपन कुमार के द्वारा अपनाए गए इस नए और इनोवेटिव मॉडल की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी मन की बात में काफी तारीफ की है। सपन कुमार अपने गांव के बच्चों को न केवल शिक्षित कर रहे हैं उन्हें आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में भी कार्य कर रहे है। बताया जाता है कि इस गांव के बच्चे अपने हाथों से चॉक भी बना रहे हैं और चटाई भी बना रहे हैं। इसके साथ-साथ गांव में स्वच्छता रहे इसके लिए बच्चे प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग करके झाड़ू भी बना रहे हैं। सपन कुमार के द्वारा किए गए इस प्रशंसनीय कार्य के लिए उनकी देश में ही नहीं बल्कि विदेश में भी प्रशंसा की हो रही है.
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