बिना बिजली कनेक्शन भी इस चाय की स्टॉल में जलती हैं 9 लाइटें, चलता है FM रेडियो

पिछले कुछ समय से आये दिन भारत में बिजली की समस्या को लेकर खबरें आ रही हैं। कहा जा रहा है कि कोयले की कमी से थर्मल प्लांट्स में बिजली का उत्पादन नहीं हो पा रहा है। सेंट्रल इलेक्ट्रिसिटी अथॉरिटी ऑफ़ इंडिया के मुताबिक भारत में लगभग 80% प्लांट, जहां कोयले से बिजली बनती है ‘सुपरक्रिटिकल’ स्थिति में हैं। इस कारण, राजस्थान, बिहार जैसे राज्यों में 14 घंटों से भी ज्यादा पावर कट हो रहा है।
भारत में बिजली का सबसे ज्यादा उत्पादन अभी भी कोयले से होता है। जो पर्यावरण की दृष्टि से सही नहीं है और साथ ही यह महंगा भी है। इसलिए बहुत से लोगों के लिए पावर कट, तो बहुत से लोगों के लिए बिजली का बढ़ा हुआ बिल परेशानी का सबब बन चुका है। ऐसे में, अब जरूरत है कि बिजली के लिए ज्यादा से ज्यादा प्राकृतिक साधनों, जैसे सौर ऊर्जा और पवन ऊर्जा पर निर्भरता बढ़ाई जाए। ये प्राकृतिक साधन न सिर्फ इंडस्ट्रियल और रेजिडेंशियल, बल्कि छोटे-मोटे स्टॉल आदि चलाने वाले लोगों के लिए भी फायदेमंद साबित हो रहे हैं।
तमिलनाडु में चेन्नई के महिंद्रा वर्ल्ड सिटी में अपना चाय का स्टॉल चलाने वाले एस. दामोदरन पिछले छह महीनों से सौर ऊर्जा का इस्तेमाल कर रहे हैं, जिस कारण छह महीनों से उन्हें न तो बिजली की समस्या हुई है और न ही बिजली के लिए कहीं और पैसे खर्च करने पड़े हैं। दामोदरन बताते हैं कि उनके 150 वाट के दो सोलर पैनल से उनकी स्टॉल में 10 वाट की नौ लाइटें और एक एफएम रेडियो आसानी से चल रहे हैं।
यूट्यूब से मिली प्रेरणा
दामोदरन बताते हैं, “पिछले तीन सालों से हम यह चाय का स्टॉल चला रहे हैं। हमारी इस रोडसाइड स्टॉल पर बिजली की कोई व्यवस्था नहीं थी। ऐसे में हमारे पास डीजल वाला जनरेटर इस्तेमाल करने का विकल्प था। लेकिन अगर हम डीजल वाला जनरेटर इस्तेमाल करते, तो यह हमें बहुत महंगा पड़ता और साथ ही इससे प्रदूषण भी होता।”
इसलिए वह चाहते थे कि बिजली का किसी और तरीके से इंतजाम किया जाए। क्योंकि दिन में तो सब सही रहता था, लेकिन रात के समय बहुत ही अँधेरा हो जाता था। दामोदरन कहते हैं कि महिंद्रा टेक सिटी में सभी अच्छी कंपनियां हैं और शाम व रात के समय यहां काफी भीड़ होती है। क्योंकि ब्रेक टाइम में सभी कर्मचारी आस-पास के स्टॉल्स पर ही खाने-पीने या चाय का मजा लेने आते हैं।
लेकिन उनके स्टॉल पर सिर्फ रिचार्जेबल लैंप था, जिसकी रोशनी काफी कम होती थी। इस कारण, कई बार उन्हें अपने ग्राहकों से भी हाथ धोना पड़ता था। इसलिए एक दिन यूट्यूब पर वीडियोज देखते समय उन्हें सोलर पैनल के बारे में पता चला और उन्होंने तुरंत अपने स्टॉल के लिए सोलर पैनल लगाने का फैसला किया।
दो दिन तक चलती है बैटरी
दामोदरन बताते हैं कि उन्होंने अमेज़न से दो सोलर पैनल मंगवाए और इन्हें अपने चाय के स्टॉल पर इंस्टॉल करवाया। उन्हें इसका पूरा खर्च 17 हजार रुपये पड़ा। वह कहते हैं, “लेकिन अब सोलर पैनल की वजह से पिछले छह महीनों से बिना किसी चिंता के बिजली इस्तेमाल कर रहा हूं। मुझे बिजली के लिए अब एक रुपया भी खर्च नहीं करना पड़ता है और मेरे टी स्टॉल में रात के समय एक मिनट के लिए भी अंधेरा नहीं होता है। इस कारण ग्राहक भी मेरे यहां आकर बैठना पसंद करते हैं। क्योंकि यहां अच्छी रोशनी होती है।”
उन्होंने बताया कि उनके सोलर पैनल बैटरी से जुड़े हुए हैं। सोलर पैनल सूरज की रोशनी का इस्तेमाल करके ऊर्जा बनाते हैं, जिससे छह से आठ घंटे में बैटरी चार्ज हो जाती है। उनका कहना है कि बैटरी के एक बार चार्ज होने के बाद, यह लगभग दो दिन तक आराम से चलती है। बारिश के मौसम में अगर कम धूप भी निकली हो, तो भी बैटरी चार्ज हो जाती है और उनका काम चल जाता है। बैटरी से एक छोटा-सा डिजिटल मीटर जुड़ा हुआ है, जो बताता है कि कितनी चार्जिंग बची हुई है।
कम इन्वेस्टमेंट में ज्यादा समस्याओं का समाधान
दामोदरन के बेटे शिवरमण कहते हैं कि अगर उन्होंने डीजल वाला जनरेटर लिया होता, तो उन्हें तीन-चार घंटे लाइट के लिए हर दिन लगभग 150 रुपये का डीजल खर्च करना पड़ता। इस तरह से हर महीने लगभग 4500 रुपये, उन्हें सिर्फ बिजली के लिए खर्चने होते। लेकिन अब बिजली पर उनका खर्च जीरो है। उन्होंने सिर्फ एक बार की इन्वेस्टमेंट से सभी परेशानियों को हल कर लिया है।
साथ ही, यह पर्यावरण के अनुकूल भी है। वह कहते हैं, “यह बहुत ही सही इन्वेस्टमेंट है। क्योंकि फ़ूड स्टॉल, टी स्टॉल जैसे प्लेटफार्म के लिए कोई बिजली कनेक्शन नहीं होते है। ऐसे में, रात के समय लाइट का इंतजाम एक सिरदर्द बना रहता है। लेकिन अब मेरी यह चिंता खत्म हो गई है।”
बेशक, सौर ऊर्जा आज के समय में एक बेहतरीन विकल्प है, जिस तरह से भारत पर कोयले की खपत और पर्यावरण के हनन का संकट छा रहा है, ऐसे में ज्यादा से ज्यादा लोगों को दामोदरन की तरह सौर ऊर्जा जैसे विकल्प अपनाने की जरूरत है।
[ डिसक्लेमर: यह न्यूज वेबसाइट से मिली जानकारियों के आधार पर बनाई गई है. Lok Mantra अपनी तरफ से इसकी पुष्टि नहीं करता है. ]