बिहार की सात बहनें बनी पुलिस की शान, सारण की इन खाकी वर्दी वाली मेहनती बेटियों ने बढ़ाया मां-बाप का मान

बिहार की सात बहनें बनी पुलिस की शान, सारण की इन खाकी वर्दी वाली मेहनती बेटियों ने बढ़ाया मां-बाप का मान

कहते है कि अगर लड़कियों को समान अधिकार दिया जाए। उन्हें भी उतने अवसर दिए जाए जितने लड़कों को दिए जाते है तो वह आसमान छूने की ताकत रखती हैं। इस बात को सही साबित करती हुई नज़र आ रही है बिहार की बेटियाँ।

बिहार हमेशा से सरकारी ऑफ़सरों का गढ़ माना जाता है। हर साल यूपीएससी और भी सिविल परीक्षाओं में यहाँ के विद्यार्थी अपना लोहा मनवा चुके हैं। सिर्फ इतना ही नहीं राजनीति हो या देश सेवा का कोई और माध्यम बिहार अपनी भागीदारी सुनिश्चित करने से पीछे नहीं हटता। लेकिन इस बार यहाँ के लड़कों ने नहीं बल्कि बिहार की लड़कियों ने अपनी सफलता के झंडे गाड़े है।

नारी सशक्तीकरण का बेहतरीन उदाहरण है ये बेटियाँ

बिहार के सारण  जिले के एकमा गाँव की बेटियों ने वह कर दिखाया जो एक बाप सिर्फ अपने सपने में सोच ही सकता है। सामान्य आर्थिक स्थिति वाले एकमा गाँव के निवासी राजकुमार सिंह की 7 बेटियों ने एक के एक बाद पुलिस की वर्दी का दामन थाम अपने बाप का सर गर्व से ऊंचा कर दिया। पुलिस की वर्दी वाली एकमा की ये सात बहनें उदाहरण हैं साकार होती उस परिकल्पना का, जहाँ नारी सशक्तीकरण की सिर्फ बातें नहीं, बल्कि गांव-गांव यह सच साकार होता नज़र आ रहा है।

एकमा के रहने वाले राजकुमार सिंह की आजीविका का साधन आटा चक्की है। एक सामान्य आर्थिक स्थिति वाला परिवार और घर में सात बेटियों के बाद एक बेटा। घर-परिवार और समाज का ज़ोर की जल्द से जल्द एक-एक कर इनके हाथ पीले कर दो, सात-सात को निभाना है, पर समाज और रिश्तेदारों की बातों के सामने न बेटियाँ झुकीं और न ही एक पिता। सब बेटियों ने एक-एक कर वर्दी पहनी और राज्य पुलिस बल व अद्र्ध सैन्य बल में समाज और देश की सेवा करने की ठान ली। एक गाँव के सामान्य से परिवार की लड़कियों ने स्वयं की जिद को साबित कर दिखाया।

गांव को ही बनाया अपने जीवन पाठशाला का स्थान

पुलिस की वर्दी को अपना लक्ष्य बना कर परिवार की बड़ी बेटी रानी और उनसे छोटी रेणु ने वर्दी को अपने नाम करने के लिए गाँव में ही अभ्यास शुरू किया। उन्होंने गाँव में ही दौड़ लगानी शुरू की। समाज के ताने नजरअंदाज कर आगे बढ़ती गईं। साल 2006 में रेणु का सशस्त्र सीमा बल (एसएसबी) में कांस्टेबल के पद पर चयन हो गया। इस सफलता के साथ अन्य छह बहनों का हौसला बढ़ा। इधर, बड़ी बहन रानी शादी के बाद 2009 में बिहार पुलिस में कांस्टेबल के लिए चुन ली गईं।

इसके बाद अन्य पांच बहनें भी विभिन्न बल में नियुक्त हो गईं। इस पूरे संघर्ष में बहनें ही एक-दूसरे की शिक्षक और गाइड बन कर उभरी। सातों बहनों ने गाँव के ही स्कूल में पढ़ाई की। अपने स्वाध्याय, अभ्यास और मेहनत की बदौलत सभी नौकरियाँ हासिल करने में सफल हुई। आज ये सातों बेटियाँ एक मैट्रिक पास पिता राजकुमार सिंह उर्फ कमल सिंह और आठवीं पास माँ शारदा देवी का अभिमान हैं। गाँव की इन बहनों से प्रेरणा और टिप्स लेकर प्रखंड के हंसराजपुर, एकमा, भरहोपुर, साधपुर राजापुर की दर्जनों लड़कियाँ पुलिस सेवा में चुनी जा चुकी हैैं।

किससे मिली प्रेरणा

कुमारी रानी सिंह का कहना हैं कि उनकी मैट्रिक की परीक्षा के दौरान ड्यूटी पर लगी महिला दारोगा को देखकर उन्होंने पुलिस सेवा में जाने का मन बना लिया था। यही हम सातों बहनों के जीवन का टर्निंग प्वाइंट बनी। वह वर्तमान समय में बिहार स्पेशल आम्र्ड पुलिस, रोहतास में तैनात हैं। कुमारी पिंकी सिंह भी वहीं हैं। कुमारी रानी सिंह बीएमपी रोहतास, कुमारी रेणु सिंह एसएसबी गोरखपुर, कुमारी सोनी सिंह सीआरपीएफ दिल्ली, कुमारी प्रीति सिंह क्राइम ब्रांच जहानाबाद, कुमारी रिंकी सिंह एक्साइज पुलिस सिवान और कुमारी नन्ही सिंह जीआरपी पटना में तैनात हैं। रानी, रेणु और कुमारी सोनी इन तीनों बहनों की शादी हो चुकी है।

महिलाओं के लिए सेना में आसान हो रही है राहें

हमारा समाज महिलाओं का सेना में काम करना एक सहज कार्य के रूप में कभी नहीं लेता। समाज के लिए महिलाएँ घर संभालती हुई या फिर अपने सीमित और मर्यादित दायरे में काम करते हुए ही अच्छी लगती है या कल्पना की जाती है। पर ऐसी सोच रख कर हम महिलाओं के अंदर की क्षमता को मारने का काम कर रहें हैं। उनके देश को बचाने उसकी रक्षा करने के सामर्थ्य को कम आंक रहें हैं। ऐसी परिस्थिति में महिलाओं को समान रूप से अपने सामर्थ्य को दिखाने और देश की सेवा के लिए बराबर मौके प्रदान करने चाहिए ताकि वह भी देश हित में अपनी हिस्सेदारी दर्ज कर सकें।

इस पहल को ध्यान में रखते हुए सरकार ने कुछ वाजिब कदम उठाने का प्रयास किया है। संसद में सरकार के एक दस्तावेज के अनुसार, फरवरी 2021 तक भारत में सेना के तीनों अंगों में नौ हजार से अधिक महिलाएँ काम कर रही हैैं। थल सेना में 6, 807, वायु सेना में 1, 607 और नौसेना में 700 से अधिक महिलाएँ कार्यरत हैैं। कुल कार्यबल में थल सेना में 0.56 प्रतिशत, वायु सेना में 1.08 प्रतिशत और नौसेना में 6.5 प्रतिशत महिला सैन्यकर्मी मौजूद हैैं। अच्छी बात यह है कि 1, 700 महिलाओं को मिलिट्री पुलिस में भर्ती किए जाने के लिए भी राह खोल दी गई है।

[ डि‍सक्‍लेमर: यह न्‍यूज वेबसाइट से म‍िली जानकार‍ियों के आधार पर बनाई गई है. Lok Mantra अपनी तरफ से इसकी पुष्‍ट‍ि नहीं करता है. ]

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