भगवान की पूजा करने से बेहतर है जरूरतमंदों की सेवा!

जीवन में भगवान की पूजा का अपना विशेष महत्व है, लेकिन सेवा का कार्य सबसे पवित्र माना जाता है। पूजा से जितनी जल्दी ईश्वर की कृपा प्राप्त होती है, सेवा से भी उतनी ही आसानी से प्राप्त हो जाती है, लेकिन आज समाज में विपरीत परिवर्तन आया है।
कहीं बड़े-बुजुर्ग अपने ही पुत्रों की सेवा से वंचित रह जाते हैं तो कहीं उनकी सन्तान अपने को बड़ा धर्मात्मा मानती है। वे पूजा-पाठ में काफी समय लगाते हैं और नियमित रूप से मंदिर भी जाते हैं। ऐसे पुत्र अपने माता-पिता की सेवा नहीं करते, बल्कि मंदिरों, गुरुद्वारों और अन्य पूजा स्थलों में जाकर भगवान की पूजा करते हैं और भ्रम प्राप्त करते हैं कि उन पर भगवान की कृपा होगी।
माता-पिता की सेवा करना बहुत बड़ी बात है, इसके अलावा यदि मनुष्य किसी जरूरतमंद की सेवा करे तो नारायण सहज ही प्राप्त हो सकता है। ऐसी सेवा भावना बहुत जरूरी है, क्योंकि हर सेवा कार्य भगवान को ही समर्पित होता है।