गर्भवती होने के बाद भी मरीजों की सेवा करती रही नर्स, बच्ची को जन्म देकर कोरोना से चल बसी

देशभर के लिए कोरोना वायरस चिंता का विषय बना हुआ है। कोरोना संक्रमित की संख्या दिन पर दिन बढ़ती ही जा रही है, जिसके कारण देशभर के लोग काफी परेशान हैं। कोरोना की पहली लहर के कारण वैसे भी लोग काफी परेशान थे। वहीं दूसरी लहर ने देशभर में हाहाकार मचा दिया है और अब तीसरी लहर को लेकर लोगों के मन में भय बना हुआ है।
संकट की इस घड़ी में लोगों का जीवन पूरी तरह से अस्त-व्यस्त हो चुका है। बहुत से परिवार में किसी ना किसी सदस्य को वायरस ने अपनी चपेट में ले लिया। इतना ही नहीं बल्कि कई परिवार के सदस्य को भी इस वायरस ने छीन लिया है। जिस परिवार का सदस्य गया है उनके दुख का अंदाजा लगाया भी नहीं जा सकता।
कोरोना काल में बहुत से लोगों ने अपनों को खोया है परंतु ऐसे में भी बहुत से लोग हैं जो दूसरों की सेवा में जुटे हुए हैं। अपनी जान की परवाह ना किए बिना ही दिन रात लोगो की सेवा कर रहे हैं। कुछ ऐसी ही कहानी स्वास्थ्य विभाग में पदस्थ नर्स प्रभा बंजारे की है, जो कोरोना महामारी के बीच गर्भवती होने के बाद भी अपनी ड्यूटी करती रही थीं। इसके बाद वह खुद कोरोना की चपेट में आ गईं और इलाज के दौरान उनकी जान चली गई।
आपको बता दें कि नर्स प्रभा बंजारे कवर्धा के ग्राम लीमो की रहने वाली थीं और उनकी ड्यूटी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र खैरवार लोरमी जिला मुंगेली में लगी हुई थी। वह लगातार कोरोना महामारी के बीच कोरोना से पीड़ित मरीजों की सेवा कर रही थी और वह इस दौरान खुद भी गर्भवती थीं परंतु उन्होंने इन सबकी परवाह किए बिना ही बिना ड्यूटी से छुट्टी लिए लगातार अपना काम कर रही थी।
प्रभा बंजारे ने कवर्धा के एक निजी अस्पताल में एक खूबसूरत बच्ची को जन्म दिया। जब मां-बेटी दोनों का कोरोना टेस्ट हुआ तो दोनों ही कोरोना संक्रमित निकली। जब प्रभा की तबियत कुछ ज्यादा ही बिगड़ने लगी तो उसे रायपुर के बड़े अस्पताल में इलाज के लिए रेफर कर दिया गया था। अस्पताल में करीब 10 दिनों तक इलाज चला परंतु आखिर में इलाज के दौरान ही कोरोना के कारण प्रभा बंजारे चल बसी।
जो नर्स दिन-रात कोरोना मरीजों की सेवा में जुटी हुई थी, वह खुद कोरोना से जंग हार गई और अपने पीछे वह एक मासूम बेटी को छोड़ गई। अपनी जान की चिंता किए बिना ही प्रभा दूसरों की सेवा को जरूरी समझती थीं और उन्होंने अपना फर्ज भी बखूबी तरीके से निभाया। आपको बता दें कि प्रभाकर पति भेषराज बंजारे शिक्षा विभाग में व्याख्याता के पद पर पदस्थ हैं और उन्होंने शासन से अपनी मासूम नन्ही सी बच्ची की चिंता जताई है। आपको बता दें कि प्रभा के पति भेषराज का ऐसा बताना है कि उन्होंने कई बार प्रभा को कहा कि छुट्टी ले लो, लेकिन प्रभा गर्भवती होने के बावजूद भी अपने कर्तव्य पर डटी रही थीं।
आपको बता दें कि कोरोना काल में सभी डॉक्टर्स दिन-रात मरीजों की सेवा में जुटे हुए हैं। यह अपने घर-परिवार से दूर अपनी जान को जोखिम में डालकर अपना कर्तव्य निभा रहे हैं। ऐसे कोरोना योद्धाओं के जज्बे को हम सलाम करते हैं।