चेन्नई की महिला ने कोरोना महामारी में बचाई 800 लोगों की जान, ‘ऑक्सीजन ऑटो’ से की लोगों की मदद

भारत में कोरोना महामारी की दूसरी लहर के दौरान लोगों को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा था. कई लोगों को ऑक्सीजन की आवश्यकता हुई थी और कई लोगों की ऑक्सीजन की कमी से जान भी चली गई थी. सोशल मीडिया ऑक्सीजन के लिए गुहार लगाते जरूरतमंदों से पटा पड़ा था. ऐसे में कई लोग थे जो जरूरत में फंसे लोगों की बढ़-चढ़कर मदद कर रहे थे. इन्हीं लोगों में से एक थीं चेन्नई की 36 साल की सीता देवी.
दूसरी वेव में सीता की 65 वर्षीय मां भी कोरोना संक्रमति हो गई थी. उनकी मां विजया डायलिसिस की मरीज भी थीं. उन्हें तुरंत ही राजीव गांधी गवर्नमेंट जनरल हॉस्पिटल ले जाया गया मगर उन्हें काफी देर इंतजार करने को कहा गया क्योंकि अस्पताल में एक भी ऑक्सीजन बेड खाली नहीं था. लाइफ बियॉन्ड नंबर्स वेबसाइट से बात करते हुए सीता ने कहा- “हमें हमारी मां के लिए 12 घंटे से ज्यादा ऑक्सीजन बेड के लिए इंतजार करना पड़ा क्योंकि अस्पताल में ऑक्सीजन वाला बेड खाली नहीं था. हम उन्हें एक एम्बुलेंस से दूसरी एम्बुलेंस में शिफ्ट कर रहे थे क्योंकि हर एम्बुलेंस में ऑक्सीजन का लेवल कम था.” ऑक्सीजन की कमी से सीता ने अपनी मां को खो दिया.
मां की मौत से सीता बेहद दुखी थीं मगर अपनी मां को ऑक्सीजन से मरता देखने के बाद सीता ने ठान ली कि वो किसी और को ऑक्सीजन से मरने नहीं देंगी. सीता ने कहा- “मेरी मां की जिंदगी बच जाती अगर उन्हें सही समय पर ऑक्सीजन दे दिया जाता. लेकिन मैं अपनी मां की तरह किसी और को ऑक्सीजन की कमी से मरते नहीं देख सकती थी. इसलिए मैंने अस्पताल के बाहर ऑटो के जरिए ऑक्सीजन सप्लाई का काम शुरू किया.” उन्होंने बताया कि मई के महीने से उन्होंने करीब 800 लोगों की जान अपने ऑक्सीजन ऑटो (Oxygen Auto) के जरिए बचाई है. ये सर्विस उन्होंने जरूरतमंदों को मुफ्त में मुहैया कराई थी. सीता एक एनजीओ की डायरेक्टर भी हैं. वो स्ट्रीट विजन चैरेटेबल ट्रस्ट चलाती हैं. इस संस्था के रुपयों से उन्होंने एक ऑटो अरेंज किया और उसमें ऑक्सीजन सिलेंडर और फ्लो मीटर लगाया. 5 मई से उनका ऑटो अस्पताल के बाहर सुबह 8 बजे से रात के 8 बजे तक खड़ा रहता है. सीता की मदद सरथ कुमार और मोहनराज करते हैं. हर दिन 25-30 लोगों को ऑक्सीजन की मदद दी जाती है.
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