बेटे के शहीद होने के बाद मां ने संभाला खुद को, 400 गरीब बच्चों को मुफ्त में दे रही हैं शिक्षा

बेटे के शहीद होने के बाद मां ने संभाला खुद को, 400 गरीब बच्चों को मुफ्त में दे रही हैं शिक्षा

आजकल के समय में हर नौजवान फौज में जाकर देश की रक्षा करने की चाहत रखता है। वैसे देखा जाए तो फौज में जाने वाले सिपाही के जीवन के कई पहलू होते हैं। फौज के सिपाही को कदम-कदम पर खतरे का सामना करना पड़ता है। कब क्या हो जाए? इसके बारे में बता पाना बहुत ही मुश्किल है। जब कोई फौजी अपने देश के लिए शहीद होता है तो पूरे देश का सिर उसके सम्मान में फक्र से ऊंचा हो जाता है परंतु जिस घर का बेटा शहीद हुआ है उसके परिवार वालों के लिए यह बहुत दुखद घड़ी होती है। बेटे के जाने का दुख माता-पिता के सिवा कोई नहीं जान सकता। खासतौर से मां पूरी तरह से टूट जाती है, लेकिन आज हम आपको एक ऐसी मां के बारे में जानकारी देने जा रहे हैं, जिसने अपने बेटे को खोने के बाद खुद को बिखरने नहीं दिया बल्कि यह कुछ ऐसा काम कर रही हैं जिसकी हमेशा मिसालें दी जायेंगीं।

आपको बता दें कि गाजियाबाद के इंदिरापुरम में रहने वाली शहीद स्क्वॉड्रन लीडर शिशिर तिवारी की मां सविता तिवारी अपने बेटे की शहादत के बाद बेसहारा बच्चों को शिक्षित करने का बीड़ा उठाया है। जैसा कि हम सभी लोग जानते हैं किसी भी विकसित समाज की कल्पना बिना शिक्षा के नहीं की जा सकती। समाज और देश का विकास शिक्षा से ही संभव हो सकता है परंतु तमाम सरकारी प्रयासों के बावजूद भी बहुत से गरीब बच्चे ऐसे हैं जो शिक्षा से वंचित रह जाते हैं। ऐसे ही समाज के कुछ लोगों ने खुद उन्हें शिक्षित करने की जिम्मेदारी ली है। इन्हीं में से एक सविता तिवारी हैं। अपने बेटे के शहीद होने के बाद सविता तिवारी जी ने गरीब और शिक्षा से वंचित बच्चों को शिक्षित करने का नेक काम आरंभ किया है।

सविता तिवारी जी का ऐसा कहना है कि “अपने बेटे को खोने के बाद उनकी याद में मैंने यह काम शुरू किया, ताकि गरीब बच्चे पढ़ लिखकर अपनी आर्थिक हालात में सुधार ला सकें।” वैसे तो यह बेसहारा बच्चों के लिए काफी लंबे समय से कार्य कर रही है परंतु बेटे के जाने के बाद इस काम के लिए वह पूरी तरह से समर्पित हो गईं। सविता तिवारी जी सप्ताह में 5 दिन 4 से 5 घंटे तक आर्थिक रूप से कमजोर लगभग 400 बच्चों को मुफ्त में शिक्षा दे रही हैं।

सविता तिवारी जी का ऐसा कहना है कि वह अपने बेटे की कुर्बानी को जाया नहीं जाने देना चाहतीं। उनका बेटा हमेशा ही देश के लिए कुछ करने में विश्वास रखता था और इसीलिए उन्होंने अपने जीवन का लक्ष्य बना लिया। सविता जी ने बताया कि वह अपने आसपास कुछ बच्चों को कचरा उठाते हुए देखती थीं, तो मन विचलित हो जाता था और आंखों से आंसू निकलने लगते थे। उसी समय उन्होंने ठान लिया कि ऐसे गरीब बच्चों को पढ़ा कर वह आगे बढ़ने का अवसर प्रदान करेंगीं।

आपको बता दें कि 6 अक्टूबर 2017 को अरुणाचल प्रदेश के तवांग में एमआई -17 हेलीकॉप्टर हादसे में स्क्वॉड्रन लीडर शिशिर तिवारी शहीद हो गए थे। उनकी शहादत पर उनके माता-पिता, सविता तिवारी और वायु सेना में ग्रुप कैप्टन के पद पर रिटायर, शरद तिवारी ने जैसे-तैसे खुद को संभाला था।

[ डि‍सक्‍लेमर: यह न्‍यूज वेबसाइट से म‍िली जानकार‍ियों के आधार पर बनाई गई है. Lok Mantra अपनी तरफ से इसकी पुष्‍ट‍ि नहीं करता है. ]

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