शहीद को सलाम! कश्मीर में आतंकियों से लड़ते शहीद हुआ यूपी का लाल

जम्मू कश्मीर में आतंकियों से लोहा लेते हुए शहीद हुए मेजर मयंक विश्नोई। मेजर बनने के बाद मयंक विश्नोई को सेना की घातक प्लाटून राष्ट्रीय रायफल (आरआर) में पोस्टिंग हुए दो वर्ष ही बीते थे। इन दो वर्षों में मेजर ने करीब ढाई दर्जन आतंकी मुठभेड़ के आपरेशन में शामिल हुए थे। उनका पार्थिव शरीर रविवार सुबह उनके आवास पर पहुंचेगा। जिसके बाद सैन्य सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा।
मेजर के साहसी कारनामों और सभी कामयाब मुठभेड़ के रिकार्ड को देखते हुए सेना ने करीब चार माह पूर्व मेजर को सेना मेडल देने की घोषणा की थी। यह सेना मेडल 26 जनवरी 2022 को मिलना था। मगर, अब मेजर के मरणोपरांत यह मेडल उनके स्वजन को मिलेगा।
बता दें कि मेजर मयंक विश्नोई घाटी में आतंकियों से लोहा लेते हुए गंभीर रूप से घायल हो गए थे, जिसके बाद उन्हें उधमपुर के सैनिक अस्पताल में भर्ती कराया गया था। आज सुबह सैनिक अस्पताल में वे वीरगति को प्राप्त हुए. मेजर मयंक विश्नोई कंकर खेड़ा शिवलोकपुरी के रहनेवाले रिटायर्ड सूबेदार वीरेंद्र बिश्नोई के पुत्र थे।
सीएम योगी ने दी भावभीनी श्रद्धांजलि
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जम्मू कश्मीर में कर्तव्य पालन के दौरान वीरगति को प्राप्त हुए जनपद मेरठ निवासी सेना के मेजर मयंक विश्नाई के शौर्य और वीरता को नमन करते हुए उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि दी। साथ ही मुख्यमंत्री ने शहीद के परिजनों को 50 लाख रुपए की आर्थिक सहायता प्रदान करने की घोषणा की है। उन्होंने शहीद के परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी देने तथा जनपद की एक सड़क का नामकरण शहीद मयंक विश्नाई के नाम पर करने की भी घोषणा की है।
बहन, मेरी शाहदत पर सभी करेंगे जयहिंद!
बहन, देश पर अपने को शहीद करना हर किसी में कलेजा नहीं होता। मैं एक सैनिक के बेटे के साथ सेना का मेजर भी हूं। देश के दुश्मनों को मौत के घाट उतारते वक्त अगर खुद शहीद हो गए तो, इसमें फिक्र करने की क्या बात है। बहन, जिस दिन तिरंगे में लिपटकर आऊंगा, उस दिन देखना सभी मुझे जयहिंद करेंगे। मेजर मयंक विश्नोई की इन बातों को याद कर बताते हुए शहीद की दोनों बहनों फफक कर रो पड़ती हैं।
मेरठ के लाल का आज अंतिम संस्कार
जम्मू कश्मीर में आतंकियों से लोहा लेते हुए शहीद हुए मेजर मयंक विश्नोई का पार्थिव शरीर रविवार को उनके पैतृक आवास पर लाया गया है। आगे-आगे सेना के जवान और कंधों पर शहीद मेजर का पार्थिव शरीर, पीछे भारी सैलाब। पार्थिव शरीर घर के बाहर पहुंचा तो लोगों की आंखें नम हो गईं। उधर, परिवार के लोगों में कोहराम मच गया। सेना के अधिकारी परिवार के लोगों को संभालते रहे।
मेजर मयंक विश्नोई की शादी 18 अप्रैल 2018 को स्वाति से हुई थी। मयंक के कोई बच्चा नहीं है। मयंक अपने पिता के इकलौते बेटे थे। मयंक के पिता जहां रिटायर्ड सूबेदार हैं, वहीं मयंक की पत्नी स्वाति के पिता भी एयरफोर्स से रिटायर्ड हैं।
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