मध्य प्रदेश के कारीगरों बांस से बना रहे हे बर्तन, तस्वीरे देख आपभी होंगे हेरान

मध्य प्रदेश के कारीगरों बांस से बना रहे हे बर्तन, तस्वीरे देख आपभी होंगे हेरान

मध्य प्रदेश के बालाघाट जिले की बैहर तहसील के कारीगरों को बांस से बर्तन बनाने का उपक्रम रोजी-रोटी तो दे ही रहा है, वे पर्यावरण संरक्षण का संदेश भी दे रहे हैं। कान्हा राष्ट्रीय उद्यान में आने वाले पर्यटक इन बर्तनों को खूब पसंद कर रहे हैं। यही नहीं, दूसरे शहरों से अच्छे-खासे आर्डर भी मिल रहे हैं।

बांस कारीगर राजू बंजारा का कहना है कि पर्यावरण संरक्षण की दृष्टि से हानिकारक प्लास्टिक और पालीथिन मुक्त देश के नारे के साथ बांस से बर्तन बनाने का काम 2018 में शुरू किया गया था। करीब 60 कारीगरों ने जब नई सोच के साथ यह काम आरंभ किया तो लोगों का शुरुआती झान बहुत कम था लेकिन जल्दी ही हमारे काम को लोग पसंद करने लगे। अब हाट बाजारों में इन बर्तनों की पूछ-परख होने लगी है। हाल यह है कि दो माह में पांच हजार बर्तन और अन्य सामग्री बिक गई।

बांस के बनाए हुए गिलास, पानी रखने की बोतल, जग, कप, ट्रे, ब्रश समेत अन्य सामग्री की मांग लगातार बढ़ रही है। भोपाल, होशंगाबाद, नागपुर, भिलाई, रायपुर सहित अन्य महानगरों में भी इनकी मांग है। दो साल में 66 हजार से अधिक बांस के बर्तन दूसरे शहरों में मंगाए गए। करीब 210 लोगों की रोजी-रोटी इस उपक्रम से चल रही है।

इसलिए खास हैं बांस के बर्तन

– बांस से बने बर्तन चार साल तक नहीं होंगे खराब।

– एक बांस से गिलास, जग, कप, ट्रे, बोतल का सेट होता है तैयार।

– एक बांस से दो हजार रपये तक के बर्तन बनते हैं।

बांस के बर्तन बनाने वाले कारीगर पर्यावरण संरक्षण अभियान भी चला रहे हैं

बांस के बर्तन बनाने वाले कारीगर पर्यावरण संरक्षण अभियान भी चला रहे हैं। हमारा विभाग कारीगरों को बांस दिलवाने में मदद करता है। कारीगरों के लिए बैहर में एक यूनिट खोली गई है, जहां कारीगर काम करके अपने उत्पाद तैयार करते हैं

[ डि‍सक्‍लेमर: यह न्‍यूज वेबसाइट से म‍िली जानकार‍ियों के आधार पर बनाई गई है. Lok Mantra अपनी तरफ से इसकी पुष्‍ट‍ि नहीं करता है. ]

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Don`t copy text!