ऐसे आईपीएस ऑफिसर जो 12 वीं में फेल हुए, भिखारियों के साथ सोए, टेंपो भी चलाया, प्रेमिका का साथ पाकर आईपीएस बने

दोस्तों, आप सभी ने एक सुपरहिट फ़िल्म का ये प्रसिद्ध डायलॉग तो सुना ही होगा “अगर किसी चीज को दिल से चाहो तो पूरी कायनात उसे तुम से मिलाने की कोशिश में लग जाती है।” बेशक यह डायलॉग एक फ़िल्म का है लेकिन देखा जाए तो इसमें कहीं ना कहीं सच्चाई भी छुपी हुई है, क्योंकि सच्चे मन से अगर कुछ ठान लिया जाए और उसके लिए भरपूर कोशिश की जाए तो सफलता ज़रूर मिलती है।
ऐसे बहुत से उदाहरण हमारे सामने आते रहते हैं जिनसे हमें पता चलता है कि वास्तव में अगर कोई इंसान अपनी मंज़िल पाने के लिए जी जान लगा दे तो सारे रास्ते अपने आप मिल जाते हैं और मुश्किलें कम होती चली जाती हैं। ऐसे ही एक परिश्रमी और दृढ़ निश्चयी व्यक्ति हैं आईपीएस मनोज शर्मा (IPS Manoj Sharma), जिन्होंने अपनी ज़िंदगी में बहुत संघर्ष किया लेकिन हार नहीं मानी और आईपीएस बन गए।
मित्र अनुराग पाठक ने मनोज शर्मा पर लिखी किताब
मनोज शर्मा के मित्र अनुराग पाठक नें उन पर एक किताब भी लिखी ताकि सभी को उनसे प्रेरणा मिले। इस किताब का शीर्षक है “12th फेल, हारा वही जो लड़ा नहीं”। इस किताब में उनकी ज़िन्दगी और उनके विद्यार्थी जीवन से जुड़ी महत्त्वपूर्ण बातों और उनके आईपीएस बनने के लिए किए गए संघर्षों का विवरण है। मनोज शर्मा वर्ष 2005 के महाराष्ट्र कैडर के ऑफिसर हैं और इस समय मुंबई में एडिशनल कमिश्नर ऑफ़ वेस्ट रीज़न की पोस्ट पर सेवाएँ दे रहे हैं।
11 वीं तक नक़ल करके हुए पास, 12 वीं में फेल, चलाया टेंपो
मनोज शर्मा अपने विद्यार्थी जीवन में पढ़ाई को लेकर गंभीर नहीं थे। वे जैसे तैसे कक्षा 9, 10 और 11 में तो नक़ल करके पास हो गए लेकिन बारहवीं कक्षा में नक़ल ना कर पाने की वज़ह से फेल हुए। जब उन्होंने जाना कि वहाँ के एसडीएम के कड़े कानून की वज़ह से वे नक़ल करने में असफल हुए, तो वे उस बात से काफ़ी प्रभावित हुए और निश्चय किया कि वे भी एसडीएम बनेंगे।
जब मनोज कक्षा 12 में फेल हुए तो रोज़ी रोटी कमाने के लिए अपने भैया के साथ टेंपो चलाने का कार्य करने लगे। फिर एक दिन किसी कारण से उनका टेंपो जब्त कर लिया गया तो उनसे कहा गया कि उसे छुड़ाने के लिए उन्हें एसडीएम के पास जाना होगा, तब उनकी एसडीएम बनने की चाह और अधिक बढ़ गई।
पढ़ने के लिए चपरासी की और कुत्तों को टहलाने की जॉब भी की
उनके गाँव के एक व्यक्ति ने उनकी मदद की तो वे ग्वालियर पढ़ने चले गए, परन्तु पढ़ने के लिए उनके पास पैसे नहीं थे। पैसे ना होने की वज़ह से उन्हें भिखारियों के साथ भी सोना पड़ गया था। तत्पश्चात् उन्हें ग्वालियर में ही लाइब्रेरियन कम चपरासी की जॉब मिली, उससे उन्हें थोड़ी मदद मिली।
फिर वे आगे की पढ़ाई के लिए दिल्ली गए। वहाँ पर उन्होंने 400 रुपए में अमीर व्यक्तियों के कुत्तों को टहलाने की जॉब भी की। इसी दौरान उन्हें एक ऐसे शिक्षक भी मिले जो उन्हें बिना फीस लिए पढ़ाने को तैयार हो गए। मनोज शर्मा इंग्लिश और मैथ्स में कमजोर थे परन्तु वे परिश्रम करते रहे।
प्रेमिका ने बढ़ाया हौंसला, बने आईपीएस
दिल्ली में एक लड़की से मनोज बहुत प्यार करते थे, लेकिन कुछ समय तक उन्होंने अपने दिल की बात उससे छुपाए रखी और अपने प्यार का इज़हार नहीं कर पाए। उन्हें लगता था कि एक 12 वीं फेल लड़के को कैसे कोई लड़की पसंद करेगी? उन्होंने निरंतर प्रयास किए और 3 बार यूपीएससी की परीक्षा दी। वे मेन्स क्लियर नहीं कर पा रहे थे। उन्होंने अपनी प्रेमिका को कहा कि अगर तुम मेरा साथ दोगी तो मैं दुनिया पलट दूंगा। फिर चौथी बार परीक्षा देने पर वे पास हो गए और आईएएस बने।
[ डिसक्लेमर: यह न्यूज वेबसाइट से मिली जानकारियों के आधार पर बनाई गई है. Lok Mantra अपनी तरफ से इसकी पुष्टि नहीं करता है. ]