कार जैसी खूबियों वाला है IIT खड़गपुर का ई थ्री-व्हीलर ‘देश्ला’

कार जैसी खूबियों वाला है IIT खड़गपुर का ई थ्री-व्हीलर ‘देश्ला’

ई रिक्शा से कम दूरी का सफर अब आसानी से तय होने लगा है। दरअसल, यह पारंपरिक रिक्शा की तुलना में काफी कम समय और पैसों में हमें अपने गंतव्य तक आसानी से पहुंचा देता है। लेकिन इसकी भी अपनी दिक्कतें है। जहां एक तरफ टूटे-फूटे रास्तों पर सवारियों को बेहिसाब झटकों का सामना करना पड़ता है, तो वहीं सीट की बदतर क्वालिटी आपको थोड़े से सफर में ही थकान का एहसास करा जाती है। लेकिन अब आपकी इन परेशानियों को देश्ला दूर करेगा।

IIT खड़गपुर के कुछ छात्रों ने एक ऐसा ई थ्री व्हीलर तैयार किया है, जो पूरी तरह से स्वदेशी और पर्यावरण के अनुकूल है और साथ ही सुरक्षा, विश्वसनीयता, प्रदर्शन और आराम के मामले में पारंपरिक ऑटो से एक कदम आगे भी।

कैसे शुरू हुआ E Rickshaw Deshla का सफर?

‘देश्ला’ के बनने की शुरुआत करीब 5 साल पहले हुई थी। जब आईआईटी खड़गपुर में मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग में असोसिएट प्रोफेसर, विक्रांत रशेर्ला को उनके एक छात्र, सीमांत जय ने एक ईमेल भेजा। सीमांत को अपने प्रोजेक्ट के लिए फैकल्टी मेंटर्स की मदद की जरुरत थी। दरअसल, वह एक इलेक्ट्रिक रेसिंग कार बनाना चाहते थे।

प्रोफेसर रशेर्ला ने ईमेल का जवाब दिया और फिर छात्रों के एक समूह को नामांकित कर, योजना पर काम करना शुरू किया गया। लेकिन अब वे रेसिंग कार नहीं, बल्कि ई-रिक्शा बना रहे थे। तीन साल के रिसर्च और डेवलपमेंट के बाद, प्रोफेसर रचेरला के 20-छात्रों की मजबूत टीम, कैंपस में बेहद खास फीचर्स वाला इलेक्ट्रिक थ्री-व्हीलर बनाने में कामयाब हो गई और इसे नाम दिया गया ‘देश्ला।’

अब आप सोच रहे होंगे कि रेसिंग कार बनाते-बनाते, बात ई-रिक्शा पर कैसे आ गई? दरअसल, फंडिंग की तलाश करते हुए छात्रों की मुलाकात एक पूर्व छात्र डॉ पुर्णेंदू चटर्जी से हुई, जिन्होंने ई रिक्शा बनाने के लिए 5000 अमेरिकी डॉलर डोनेट किए थे। इस ग्रुप का मकसद ई व्हीकल सेगमेंट में काम करना था, अब इससे क्या फर्क पड़ता है कि वह रेसिंग कार है या ई-रिक्शा। बस फिर क्या था, उन्होंने ई रिक्शा पर काम करना शुरू कर दिया।

अपने निवेशकों से नियमित फंडिंग के अलावा, उन्हें आईआईटी खड़गपुर से संस्थागत समर्थन भी मिला।

E Rickshaw Deshla की बैटरी रेंज 150 किलोमीटर

55 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से चलने वाले इस ‘देश्ला’ प्रोटोटाइप की सिंगल चार्ज बैटरी रेंज 150 किलोमीटर की है, जिसके लिए 8.8 किलोवॉट आवर बैटरी पैक का इस्तेमाल किया गया है।

द बेटर इंडिया से बात करते हुए प्रोफेसर रशेर्ला बताते हैं, “इस बैटरी पैक की क्षमता के साथ तीन से चार गुना अधिक शक्तिशाली मोटर चलाई जा सकती है। इसके अलावा, यह बैटरी तेजी से चार्ज हो सकती है। ई रिक्शा में आमतौर पर जितनी पावरफुल बैटरी का इस्तेमाल किया जाता है उसकी तुलना में हमारी बैटरी कहीं अधिक शक्तिशाली है। ई रिक्शा में एक किलोवॉट की मोटर का इस्तेमाल किया जाता है, लेकिन हमने 3.5 किलोवाट मोटर का इस्तेमाल किया है, जिससे ऑटोमेटिकली स्पीड बेहतर हो जाती है।”

घर पर चार घंटे में बैटरी चार्ज

संभावित ग्राहक को बैटरी चार्ज करने के लिए कहीं जाने की जरुरत नहीं है। इसे घर पर ही 4 घंटे में पूरी तरह से चार्ज किया जा सकता है। इसके अलावा, टीम अपनी इस बैटरी के लिए एक पैसिव थर्मल मैनेजमेंट सिस्टम विकसित करने में लगी है, जिससे बैटरी को बिना बिजली के ठंडा किया जा सकता है। यह तकनीक बैटरी को आसपास के अधिकतम तापमान के नीचे रखेगी और बैटरी की लाइफ भी बढ़ेगी।

लिथियम बैटरी में ऑपरेटिंग टेम्परेचर में 10 डिग्री की गिरावट, बैटरी लाइफ को 3 साल तक बढ़ा देती है। उपभोक्ता के लिए यह काफी फायदेमंद साबित होगी।

देश्ला की असाधारण विशेषताओं में से एक है- इसमें सवारियों के बैठने की जगह। इसमें तीन यात्रियों और एक चालक (3+1) या छह यात्रियों (6+1) को एक साथ ले जाने की क्षमता है। अब इसमें कितनी सवारियां बैठानी हैं, यह ड्राइवर और सवारियों पर निर्भर करता है।

देश्ला में हैं बहुत सी खूबियां

प्रोफेसर रशेर्ला कहते हैं, “देशला को चलाना बिल्कुल भी मुश्किल नहीं होगा। पारंपरिक ऑटो रिक्शा में पहिया घुमाने के लिए हैंडलबार का इस्तेमाल करना पड़ता है, जैसा कि आप साइकिल और बाइक चलाते समय करते हैं। इस तरह की स्टेयरिंग खराब सड़कों पर समस्या का कारण बनती है।”

उन्होंने बताया, “दूसरे शब्दों में, ऑटो सीधा चले, इसके लिए, ड्राइवर को मजबूती के साथ स्टेयरिंग को पकड़ कर रखना होता है, जिसमें काफी मेहनत लगती है।” इन दिक्कतों को दूर करने के लिए देश्ला में हैंडलबार की बजाय स्टेयरिंग व्हील दी गई है। प्रभावी ब्रेकिंग के लिए मकैनिकल ब्रेक्स की बजाय, हाइड्रोलिक ब्रेक का उपयोग किया गया है।

वह आगे कहते हैं, “ एक ऑटो ड्राइवर अपनी गाड़ी में आमतौर पर 6-10 घंटे एक ही सीट पर बैठकर बिताता है। ऐसे में सीट का आरामदायक होना बेहद जरूरी है। सीट के साथ-साथ, ऑटो चलाते समय ज्यादा झटके न लगें, इसका भी खास ख्याल रखा गया है।” उनका कहना है कि हमने सीट और स्टेयरिंग के डिजाइन पर बहुत ध्यान दिया है, ताकि ड्राइवर को रिक्शा चलाते समय दिक्कतों का सामना न करना पड़े।

कारों जैसा सस्पेंशन सिस्टम

रशेर्ला ने कुछ तकनीकी विशेषताओं के बारे में जानकारी देते हुए कहा, “फिलहाल ऑटो रिक्शा में, rigid axles और लीफ स्प्रिंग का इस्तेमाल किया जा रहा है। ये पार्ट्स आमतौर पर ट्रकों में लगाए जाते हैं, जहां पता ही नहीं होता कि कितना ‘भार’ ढोकर ले जाना है। साथ में सिस्टम फेल न हो जाए, इसका पूरा ध्यान रखना पड़ता है और सबसे बड़ी बात, खराब सड़कों पर यात्रियों को काफी झटके महसूस होते हैं।”

इसलिए रशेर्ला की टीम ने एक ऐसा वाहन तैयार किया, जिसमें कारों जैसा सस्पेंशन सिस्टम है। इसके अलावा, वे डंपर के साथ कॉइल स्प्रिंग का भी उपयोग कर रहे हैं। इन दो एलिमेंट्स और एक बेहतर व आरामदायक सीट के साथ, यह ई रिक्शा खराब सड़कों पर भी सुरक्षित और आरामदायक सफर का अनुभव कराता है और ये ई रिक्शे को मजबूती भी देते हैं।

6 सवारियों की क्षमता वाला यह ई रिक्शा 40 किलोमीटर की अधिकतम गति से चलता है। टीम, ‘देश्ला’ का सफल ट्रायल कर चुकी है और साथ ही मोटर कंट्रोलर, बैटरी चार्जर मोटर, 3 जी सेलुलर कनेक्टिविटी मॉड्यूल, जीपीएस और एक बैटरी प्रबंधन प्रणाली जैसे एम्बेडेड और पावर इलेक्ट्रॉनिक्स सब सिस्टम भी विकसित कर चुकी है।

[ डि‍सक्‍लेमर: यह न्‍यूज वेबसाइट से म‍िली जानकार‍ियों के आधार पर बनाई गई है. Lok Mantra अपनी तरफ से इसकी पुष्‍ट‍ि नहीं करता है. ]

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