लांस नायक जितेंद्र कुमार के नाम पर रखा जाएगा मध्य प्रदेश में स्कूल का नाम

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने लांस नायक जीतेंद्र कुमार के परिवार के लिए 1 करोड़ की सम्मान राशि और सरकारी नौकरी की घोषणा की. बीते बुधवार को कुन्नूर, तमिलनाडु में भारतीय वायुसेना का हेलिकॉप्टर क्रैश हो गया था जिसमें लांस नायक कुमार समेत 13 लोगों की मौत हो गई.
मुख्यमंत्री चौहान ने ये भी कहा कि लांस नायक कुमार की बेटी को सरकारी नौकरी दी जाएगी और ज़िला सीहोर स्थित उनके गांव धामंदा के सरकारी स्कूल का नाम उनके नाम पर रखा जाएगा.
ऐ वीर तुम्हें सलाम,
तुम्हारे शौर्य को प्रणाम!गढ़ें हैं तुमने जो अप्रतिम प्रतिमान,
इस माटी को है तुम पर अभिमान!गौरव हो तुम इस प्रदेश और देश का,
अपने सपूत को यह माटी करती है प्रणाम!वीर सपूत शहीद जितेंद्र कुमार जी के चरणों में प्रदेश-देश की ओर से श्रद्धा सुमन अर्पित करता हूं। pic.twitter.com/0gf7RCSfRa
— Shivraj Singh Chouhan (@ChouhanShivraj) December 12, 2021
12 दिसंबर 2012 को लायंस नायक कुमार का अंतिम संस्कार किया गया. लांस नायक कुमार के 1.5 साल के बेटे ने अपने चाचा की गोद में बैठकर पिता को अंतिम विदाई दी. मुख्यमंत्री चौहान समेत धामंदा ग्राम और आस-पास के क्षेत्रों के कई लोगों ने अंतिम यात्रा में हिस्सा लिया.
बीते बुधवार को सेना की टीम ने लांस नायक कुमार के परिवार के सदस्यों से डीएनए सैम्पल कलेक्ट किया था. डीएनए सैम्पल के आधार पर ही लांस नायक के पार्थिव शरीर की पहचान हुई और रविवार को उसे परिजनों को सौंपा गया.
लांस नायक कुमार ने 2011 में सेना जॉइन की थी और 2014 में उनकी शादी हुई थी. लांस नायक कुमार की 4 साल की बेटी है, शव्या और 1.5 साल का बेटा है चैतन्य. दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के अनुसार लांस नायक कुमार का सपना था कि उनकी बेटी ख़ूब पढ़े. बीते 13 अगस्त को बेटी शव्या का एडमिशन करवाया गया था. अमलाहा पब्लिक स्कूल के संचालक ने शव्या की 12वीं तक की पढ़ाई की फ़ीस और बस की फ़ीस माफ़ कर दी.
PTI की रिपोर्ट के अनुसार मुख्यमंत्री चौहान और अन्य के आगमन से पहले धामंदा गांव तक जाने वाली 2.5 किलोमीटर की सड़क का जल्दी से निर्माण करवाया गया. बीते रविवार को नाम गुप्त रखने की शर्त पर कुछ अधिकारियों ने बताया कि बीते 9 नवंबर को जब लांस नायक कुमार ड्यूटी पर लौटे थे तब वो सड़क पूरी तरह से टूटी-फूटी थी. धामंदा के पूर्व सरपंच लक्ष्मी चंद ने बताया कि उन्होंने ज़िलाधिकारी को कई बार सड़क बनवाने की अर्ज़ी डाली थी 7 महीने पहले डाली थी लेकिन किसी ने सुध नहीं ली.
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