आग का गोला! 453 किलो वजन, 43000 KMPH की रफ्तार… धरती पर गिरे उल्कापिंड की डिटेल

उल्कापिंडों के बारे में अक्सर खबरें सामने आती रहती हैं. एक बार फिर अंतरिक्ष से एक उल्कापिंड के धरती पर गिरने की खबर है. खबरों के मुताबिक, पिछले दिनों धरती के वायुमंडल में एक उल्कापिंड का प्रवेश हुआ और बेहद तेज रफ्तार के साथ एंट्री के तुरंत बाद वह उल्कापिंड एक आग के गोले में बदल गया. अमेरिका के टेक्सास में लोगों ने इसे देखने का दावा किया है.
इस घटना की एक वीडियो भी वायरल हो रही है. एक घर के डोरबेल कैमरे में कैप्चर हुए इस वीडियो को लेकर दावा किया जा रहा है कि इसमें उल्कापिंड के गिरने की घटना रिकॉर्ड हुई है. हालांकि इसमें बहुत कुछ स्पष्ट नहीं है पर एक तेज आवाज जरूर रिकॉर्ड हुई है. कहा जा रहा है कि उल्कापिंड के गिरने पर आई आवाज है.
उल्कापिंड होते क्या हैं?
उल्कापिंड दरअसल अंतरिक्ष में चट्टानी टुकड़े हैं जो सौरमंडल के गठन से बचे हुए हैं. ये उल्कापिंड अलग-अलग साइज और आकार में होते हैं. उल्कापिंड सूर्य और अलग-अलग ग्रहों की परिक्रमा करते रहते हैं. कई सारे उल्कापिंड अक्सर धरती की कक्षा में भी विचरते हैं और पास से गुजरते रहते हैं. कई ताे कुछ ग्रहों के बेहद करीब आ जाते हैं और यहां तक कि टकरा भी जाते हैं.
यही वीडियो वायरल हो रही है
नासा ने भी डेटा स्टडी
उल्कापिंड के गिरने के बारे में अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (NASA) ने भी जानकारी दी है. नासा के अनुसार, बीते 15 फरवरी की शाम छह बजे के करीब टेक्सास के पास मैकएलेन में एक उल्कापिंड गिरा और दुर्घटना हुई. धरती के वायुमंडल में प्रवेश करते ही यह आग के गोले में तब्दील हो गया था. नासा ने इस संबंध में डेटा स्टडी भी की है. डेटा स्टडी से पता चला है कि उल्कापिंड के कुछ टुकड़े धरती की सतह पर गिरे थे.
पुलिस को आए थे विस्फोट के कॉल
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, जिस दिन यह घटना हुई, मैकएलेन की पुलिस और अन्य सुरक्षा एजेंसियों को कई कॉल्स भी आए थे. लोगों ने एक बेहद तेज विस्फोट सुने जाने की बात बताई थी. मीडिया रिपोर्ट में बताया गया था कि दो एयरपोर्ट्स से भी उल्कापिंड को गुजरते हुए देखा गया था. अमेरिकी उल्का सोसायटी ने घटना से जुड़े सबूत बरामद किए हैं.
पहले घटना पर था अंदेशा
453 किलो वजन, 43000 KMPH की रफ्तार
नासा की ओर से दी गई जानकारी के अनुसार, वह उल्कापिंड कोई छोटा-मोटा चट्टान नहीं था. उसका वजन करीब 453 किलो आंका गया. नासा के अनुसार, उल्कापिंड की रफ्तार करीब 43000 किलोमीटर प्रति घंटा की रही होगी और उसमें करीब 8 टन टीएनटी (Trinitrotoluene) की ऊर्जा थी. धरती की सतह से लगभग 33 किलोमीटर ऊपर ही वह उल्कापिंड कई टुकड़ों में टूट गया था.