धरती का तो पता है… मंगल ग्रह पर कैसे होता है सूर्यास्त?

मंगल (MARS) ग्रह रहस्यों से भरा है, जिसे समझने में दुनिया भर के वैज्ञानिक जुटे हेैं. अब नासा (NASA) के क्यूरियोसिटी रोवर (Curiosity rover) ने यहां चमकती रोशनी जैसी चीज़ों को कैद दिया है. नासा के वैज्ञानिक इन तस्वीरों को देखकर हतप्रभ हेैं. वैज्ञानिक इन तस्वीरों को देखकर आगे के अनुसंधान में जुट गए हैं. उन्हें उम्मीद है इससे कई रहस्यों की परतें खुल सकती हैं.
नासा के वैज्ञानिकों के मुताबिक मंगल के सतह पर दिखने वाली रोशनी करीब-करीब वैसी ही है, जैसी धरती पर शाम के वक्त दिखाई देती है. वैज्ञानिकों ने विश्लेषण किया है कि यह रोशनी सूर्यास्त (SUN SET) के समय यानी गोधूलि बेला के वक्त आसमान में नजर आने वाली धुंधली रोशनी की तरह है. लेकिन इसमें धूल नहीं होती. वैज्ञानिक इससे खासे उत्साहित हैं.
धरती से ज्यादा साफ है यहां का सूर्यास्त
चकाचौंध करने वाली छवि मंगल ग्रह पर आश्चर्यजनक नज़ारे को दर्शाती है. वैज्ञानिकों के मुताबिक मंगल ग्रह का सूर्यास्त धरती के सूर्यास्त की तुलना में अधिक आकर्षक होता है. यह ज्यादा साफ और बहुत करीब नजर आता है. तस्वीरें बताती हैं यहां प्रकाश की किरणें बादलों को अदभुत तरीके से रोशन करती हैं. एक सपनीली दुनिया का अहसास कराती है.
नासा के वैज्ञानिकों ने बताया है कि मंगल पर शाम के वक्त की ये तस्वीरें दो फरवरी को कैप्चर की गई हैं. यह उस वक्त हुआ जब क्यूरियोसिटी रोवर सबसे नया ट्वाइलाइट क्लाउड सर्वेक्षण कर रहा था. यह घटना अनायास हुई और इसके दूरगामी नतीजे देखने को मिल सकते हैं.
सूखी बर्फ से लदे बादल
प्राप्त तस्वीरों में बादल अधिक दिखाई देते हैं, जोकि सामान्य से बहुत अधिक ऊंचाई पर थे. वैज्ञानिकों के मुताबिक वह बेहद ठंडा भी था, इसका मतलब है कि वह संभवतः कार्बन डाइऑक्साइड या सूखी बर्फ से बना होगा. गौरतलब है कि मंगल ग्रह पर अधिकांश बादल जमीन से 60 किलोमीटर से ज्यादा नहीं मंडराते हैं. वह बर्फ से बने होते हैं.
पहले सूर्य की रोशनी भी हुई कैद
इससे पहले जनवरी की शुरुआत में नासा (NASA) के क्यूरियोसिटी रोवर ने यहां ट्वाइलाइट क्लाउड सर्वेक्षण के दौरान सूर्य की किरणों को भी कैद किया था. तब वैज्ञानिकों ने बताया था कि जैसे ही सूर्य क्षितिज पर उतरता है, किरणें बादलों के किनारे एक चमत्कृत करने वाला नजारा दिखाती हैं. पहली बार यहां सूर्य की किरणों को इतने स्पष्ट रूप देखा गया. वैज्ञानिकों की दुनिया में हलचल मच गई थी.
नया क्लाउड सर्वेक्षण जनवरी में शुरू हुआ था जोकि मार्च में समाप्त होगा. हाल ही में क्यूरियोसिटी को करीब इंद्रधनुष जैसी दिखने वाली चीज दिखी. सूर्य की किरणों और इंद्रधनुषी बादलों दोनों को क्यूरियोसिटी द्वारा कैप्चर किया गया. कुल 28 तस्वीरें पृथ्वी पर नासा के वैज्ञानिकों को भेजी गई.
क्या है क्यूरियोसिटी रोवर?
2011 के नवंबर में इसे पृथ्वी से लॉन्च किया गया था. नौ महीने की मुश्किलों से भरी यात्रा के बाद यह मंगल ग्रह की सतह तक पहुंचा. यह प्रयास इस बात का सबूत तलाशने के लिए था कि मंगल पर कभी जीवन था या नहीं.
तब से अब तक क्यूरियोसिटी रोवर 29 किलोमीटर से अधिक चल चुका है. और 2,000 फीट से अधिक चढ़ चुका है. रोवर ने 40 किस्म के रॉक और मिट्टी के नमूनों का विश्लेषण किया है. वैज्ञानिकों को इससे अनुसंधान करने में काफी मदद मिल रही है.
प्रारंभ में यह दो साल का मिशन था लेकिन बाद में इसे अनिश्चितकाल के लिए बढ़ा दिया गया. क्यूरियोसिटी ने लाल ग्रह के आसमान का अध्ययन किया है और चमकते बादलों और चंद्रमा की छवियों को कैप्चर किया है. नासा को इससे यहां की आबोहवा के बारे में गहराई से पता लगाने में मदद मिलेगी.