भूजल आकलन: देश में अब नहीं होगी पानी की कमी! सरकार ने उठाया बड़ा कदम

भूजल आकलन: देश में अब नहीं होगी पानी की कमी!  सरकार ने उठाया बड़ा कदम

देश में अब नहीं होगी पानी की कमी!

आने वाले समय में देश में पानी की कमी ना हो इसके लिए भारत सरकार ने एक बड़ा कदम उठाया है। पानी की समस्या को दूर करने के लिए सरकार ने जलदूत एप बनाया है। यह ऐप साल में दो बार (मानसून से पहले और बाद में) 6.5 लाख गांवों में भूजल स्तर का पता लगाएगा। जलदूत ऐप देश भर के गांवों में चयनित तालाबों के जल स्तर का आकलन करेगा।

वहीं अमृत सरोवर मिशन के तहत 50 हजार जलाशयों का निर्माण किया जाना है। इस मिशन की शुरुआत पिछले साल अप्रैल में जल संरक्षण के उद्देश्य से की गई थी। इस बीच, जल शक्ति मंत्रालय ने कहा कि भूजल आकलन रिपोर्ट अब सालाना आधार पर जारी की जाएगी। जल शक्ति मंत्रालय के सचिव पंकज कुमार ने न्यूज9 प्लस को बताया कि इस साल से हम हर साल असेसमेंट रिपोर्ट लेकर आने वाले हैं.

भूजल की मात्रा और गुणवत्ता दोनों की निगरानी करना

उन्होंने कहा कि हम बेहतर डेटा एकत्र करने के लिए निगरानी कुओं की संख्या भी बढ़ा रहे हैं। उन्होंने कहा कि वर्तमान में केंद्रीय भूजल बोर्ड के पास भूजल की मात्रा और गुणवत्ता दोनों की निगरानी के लिए लगभग 26000 स्थानों पर पीजोमीटर और खुले कुएं हैं। अभी तक यह प्रक्रिया मैनुअल थी। इसमें जल स्तर की निगरानी के लिए साल में चार बार और गुणवत्ता के लिए साल में एक बार रीडिंग ली जाती थी।

कुमार ने कहा कि हमें अपनी असेसमेंट रिपोर्ट के लिए 67000 जगहों से डेटा मिल रहा था. कुमार ने आगे बताया कि हम अपने नेटवर्क को 40,000 स्थानों तक विस्तारित करने की योजना बना रहे हैं। इसमें कई राज्य हैं। वहीं, जल शक्ति मंत्रालय में संयुक्त सचिव सुबोध यादव ने कहा कि हम उम्मीद कर रहे हैं कि यह कुल संख्या बढ़कर करीब एक लाख हो जाएगी.

जलदूत एप क्या है

इस ऐप को ग्रामीण विकास मंत्रालय और पंचायती राज मंत्रालय ने संयुक्त रूप से विकसित किया है। जल स्तर का पता लगाने के लिए इस ऐप को लॉन्च किया गया है। यह ऐप प्रत्येक गांव में चुने गए दो से तीन कुओं के जल स्तर का पता लगाएगा। इस ऐप के जरिए बिना इंटरनेट कनेक्टिविटी के भी वाटर लेवल का पता लगाया जा सकता है। यह ऐप ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों मोड में काम करेगा। यह ऐप साल में दो बार, प्री-मानसून और पोस्ट-मानसून के बाद कुएं के जल स्तर का पता लगाने की अनुमति देगा।

अमृत ​​सरोवर मिशन का उद्देश्य

जल संरक्षण के उद्देश्य से अमृत सरोवर मिशन शुरू किया गया था। इस मिशन के तहत देश में करीब 50 हजार अमृत सरोवर बनाए जाने हैं। प्रत्येक अमृत सरोवर 10 हजार क्यूबिक मीटर जल धारण क्षमता वाला एक एकड़ क्षेत्र में होगा। इस मिशन को इस साल 15 अगस्त तक पूरा करने का लक्ष्य है। अमृत ​​सरोवर मिशन के निदेशक अमित कटारिया ने कहा कि देशभर में चिन्हित 105,734 जलाशयों में से 50,794 जलाशयों पर 12 मई तक काम पूरा कर लिया गया है.

भारत में हर साल 230 क्यूबिक किमी भूजल की खपत होती है

आपको बता दें कि भारत दुनिया में भूजल का सबसे बड़ा उपयोगकर्ता है। विश्व बैंक की एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में हर साल करीब 230 क्यूबिक किमी भूजल की खपत होती है। यह वैश्विक खपत के एक चौथाई से अधिक है। इसके अलावा यह अमेरिका और चीन को मिलाकर भी ज्यादा है। विश्व बैंक की रिपोर्ट के अनुसार, भारत की 60 प्रतिशत से अधिक सिंचित कृषि और 85 प्रतिशत पेयजल आपूर्ति भूजल पर निर्भर है। इसके साथ ही भारत के 63 प्रतिशत जिलों में से लगभग दो-तिहाई जिलों में भूजल स्तर गिरने का खतरा मंडरा रहा है।

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