किस वक्त होती है गोधूलि बेला, लक्ष्मी का होता आगमन…शुभ कार्य करने से हो सकते हैं मालामाल
एस्ट्रोलॉजर प्रीतिका मजूमदार के अनुसार सूर्य अस्त और दिन अस्त के बीच के समय को गोधूलि बेला कहते हैं. यह शाम के करीब 5 बजे से 7 बजे के बीच का समय होता है. इस वेला में जिस तरह गाये घर लौटती हैं उसी तरह लक्ष्मी का आगमन भी होता है.
गाय के आगमन को ही लक्ष्मी का आगमन भी माना जाता है. यदि इस बेला में 7 शुभ कार्य किए जाएं तो माता लक्ष्मी की विशेष कृपा से आप मालामाल हो सकते हैं.
गोधूली बेला में क्या करना चाहिए
गोधूलि बेला या संध्या काल में क्या करना चाहिए सूर्य को अर्घ्य दें सभी उगते सूर्य को अर्घ्य देते हैं लेकिन छठ पूजा के दौरान अस्ताचल सूर्य को भी अर्घ्य दिया जाता है. अस्ताचल सूर्य को अर्घ्य देने से भी धन, बल, बुद्धि, विद्या और दिव्यता प्राप्त होती है.
पीपल के नीचे दीपक जलाएं
तुलसी के पास जलाएं दीपक गोधूली वेला में तुलसी, पीपल और बरगद के पेड़ के नीचे दीपक जलाने से त्रिदेवों सहित माता लक्ष्मी की कृपा मिलती है और धन समृद्धि के योग बनते हैं. कर्ज से मुक्ति मिलती है.
गोधूलि बेला में पूजा पाठ करें
पूजा पाठ गोधूलि वेला में नित्य पूजा पाठ करने से या मंदिर में दो अगरबत्ती या धूपबत्ती लगाने से देवी देवता प्रसन्न होते हैं और उनकी विशेष कृपा मिलती है. संध्या पूजा करने से घर में धन का कभी अभाव नहीं होता है.
गोधूलि बेला में आरती करें
आरती इस वेला के अंतिम काल में संध्या आरती किए जाने का विधान है. संध्या आरती सुख और शांति देने वाली होती है. जहां सुख और शांति होती है वहीं श्री यानी लक्ष्मी का आगमन होता है. संध्या आरती से सभी तरह के रोग और शोक मिट जाते हैं और पापा का नाश होता है.
गोधूलि बेला में आरती करें
प्रार्थना इस समय की गई प्रार्थना का असर बहुत जल्द होता है. इस समय मंदिर या एकांत में शौच, आचमन, प्राणायामादि कर अपने ईष्ट से प्रार्थना करें और अपनी मनोकामना पूर्ण करने की इच्छा व्यक्त करें.
गौधूलि बेला में मौन रहने का प्रयास करें
मौन रहना संधिकाल के इस वक्त में यदि व्यक्ति मौन रहता है तो ऐसा करने वाले सभी तरह के संकटों से वह स्वत ही बच जाता है और सुख एवं समृद्धि पाता है.
गोधूलि बेला में जप करें
जप इस काल में अपने ईष्x200dट का मन ही मन जप करना चाहिए यह बहुत ही असरकारक होता है जो आपकी इच्छाएं तुरंत ही पूर्ण करता है.