इस मुस्लिम देश में सिर्फ मर्द ही नहीं महिलाएं भी बनाती है एक से ज्यादा संबंध

इस मुस्लिम देश में सिर्फ मर्द ही नहीं महिलाएं भी बनाती है एक से ज्यादा संबंध

मुस्लिम समुदाय में अक्सर यही देखा जाता है कि मर्द एक से अधिक औरतों से शादी कर सकते हैं। इस समुदाय में अधिकतर महिलाएं बुर्के पहनती हैं और ज्यादा बिंदास नहीं होती है। लेकिन आज हम आपको एक ऐसी जगह के बारे में बताने जा रहे हैं जहां मुस्लिम समुदाय की महिलाएं बहुत बिंदास होती है। इतना ही नहीं शादी के बाद यदि उन्हें गैर मर्द पसंद आ जाए तो वह पहले वाले को छोड़ दूसरे के साथ रहने चली जाती हैं।

हम यहां जिस इलाके की बात कर रहे हैं वह पाकिस्तान में अफगानिस्तान के बॉर्डर से सटा हुआ एक इलाका है। यहां की मुस्लिम महिलाएं कलाशा समुदाय की होती है। वे सामान्य मुस्लिम महिलाओं की तुलना में बेहद बिंदास होती है। इन महिलाओं को शादी के बाद भी दूसरे मर्दों से संबंध बनाने की इजाजत रहती है।

यहां की औरतें दिखने में बहुत ही सुंदर होती हैं। ये काले बुर्के की बजाए रंगीन कपड़े पहनती हैं। ये अपने सभी फैसले भी खुद ही लेती हैं। यहां तक कि शादी भी अपनी मर्जी से ही करती हैं।

ये जिस इलाके में रहती हैं वहां की जनसंख्या बेहद कम है। करीब पौने 4 हजार लोगों कि आबादी वाला ये इलाका अपनी अजीब परंपराओं के लिए मशहूर है। इन महिलाओं को जब भी कोई गैरमर्द पसंद आ जाता है तो वे अपनी शादी तोड़ दूसरों के साथ संबंध बना लेती हैं।

यहां जब भी कोई त्योहार होता है तो मर्द और औरत साथ मिलकर शराब पीते हैं। अफगान – पाकिस्तान बॉर्डर होने के कारण ये लोग अपने पास हथियार और बंदूकें भी रखते हैं।

यहां की महिलाएं काम करने बाहर भी जाती है। ये पर्स और रंगीन मालाएं बनाने का काम करती हैं। भेड़-बकरियां चराना हो तो पहाड़ों पर भी चली जाती है। इन्हें सजने सँवरने का भी बड़ा शौक होता है। इनके सिर पर एक विशेष रंग की टोपी और गले में कलरफूल माला दिखाई देती है।

यहां जब किसी की मौत होती है तो रोने की बजाए खुशियां मनाई जाती है। क्रियाकर्म के समय यहां के लोग नाच गाना करते हैं। उनका मानना है कि मरने वाला ऊपरवाले की मर्जी से इस दुनिया में आया था और उसी की मर्जी से लौट भी गया।

इतनी आजादी और छूट देने के बावजूद जब महिलाओं को पिरियड्स आते हैं तो उन्हें घर से बाहर रखा जाता है। मान्यता है कि महिलाएं पिरियड्स में घर पर रहेंगी तो भगवान नाराज हो जाएंगे और बाढ़ या अकाल जैसी स्थिति उत्पन्न हो जाएगी।

बताते चलें कि कलाशा समुदाय खैबर-पख्तूनख्वा प्रांत में चित्राल घाटी के बाम्बुराते, बिरीर और रामबुर क्षेत्र में पड़ता है। यहां लोग मिट्टी, लकड़ी और कीचड़ से बने छोटे-छोटे घरों में रहते हैं।

2018 में जब पाकिस्तान की जनगणना हुई ठी तब कलाशा जनजाति को अलग समुदाय माना गया था।

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