जब गाँव की साधारण सी लड़की IAS बनी! तो सबको महसूस हुआ जूनून हो तो अनु जैसा

सपने तो हर किसी के पास होते हैं! कुछ लोगों के सपने इच्छा मात्र होते हैं! मगर कुछ लोगों के सपने जुनून बन जाते हैं! उन्हें अपने सपनों के सिवा कुछ दिखाई नहीं देता! वह सपनों का पीछा इतनी शिद्दत से करते हैं कि एक दिन मंजिल उनके कदमों के नीचे होती है! परिस्थितियां कितनी भी मुश्किल हो यह लोग कभी नहीं हारते!और एक दिन उन परिस्थितियों को बता देते हैं कि हम तुम से कहीं ज्यादा ताकतवर है!
ऐसी ही कहानी है एक गांव की साधारण सी लड़की की! जिसने 2018 के बैच मे दूसरी रैंक हासिल की! या यूं कहें कि यह कहानी है एक 32 साल की मां की जिसका 4 साल का बच्चा भी है! लेकिन आज वो IAS टॉपर ( सेकेंड रैंक )है!
18 नवंबर 1986 को अनु का जन्म एक साधारण से परिवार में हुआ! इससे पहले भी अनु की एक बड़ी बहन थी! यानी कि अनु का जन्म अपने घर में दूसरी बेटी के रूप में हुआ! मगर उस समय बेटी के जन्म को मातम की तरह देखा जाता था! बेटे की जन्मदिन पर लोग खुशियां मनाते थे! मगर अगर किसी के घर में दूसरी बेटी का जन्म लगातार हो जाए तो उस घर में मातम का माहौल होता था! जैसे कि कोई मर गया हो! मगर अनु बताती है कि उनके परिवार में इस प्रकार का नहीं था!
उनके पिता अपनी बेटियों से काफी प्यार करते हैं! उनके विचार अपनी बेटियों के बारे में इस प्रकार से नहीं थे! आजकल हरियाणा में या हर कहीं देखा जाता है कि बेटा और बेटी में यह भेदभाव कम होता जा रहा है! मगर अगर आज से 30 35 साल की बात की जाए तो हर कोई जानता है और महसूस कर सकता है कि तब इस भेदभाव को किस प्रकार से देखा जाता था!
अनु का जन्म भी एक ग्रामीण परिवेश में हुआ तो जिस प्रकार की गाँव में जिंदगी होती है उसी प्रकार से अनु की जिंदगी भी रही! वहीं घर में भैंसों का होना! गोबर का काम करना, उपले बनाना, इस प्रकार की सारी चीजें अनु को करनी पड़ती थी! इसी बीच वह काम से समय निकालकर अपने लिए पढ़ाई करती थी! शुरू से ही अनु पढ़ाई में काफी अच्छी रही है!
अनु के पिता एक प्राइवेट कंपनी में मामूली सा रोजगार करते थे!उनकी माता घर की घरेलू महिलाओं की तरह जिस प्रकार से हरियाणा की औरतें काम करती है वैसे ही भैंस पालती है, खेतों का काम करती हैं! इसी प्रकार से उनकी मां कार्य करती थी!
अनु की मां ने बताया कि जिस प्रकार से लड़कियों को कुछ शौंक होते हैं! सजना सवरना, नेल पॉलिश लगाना इस प्रकार के शौक अनु को बचपन से नहीं थे! उसका सजने सवरने में कोई ध्यान नहीं था!अनु का पूरा फोकस अपनी पढ़ाई पर रहता था! उसने बाकी लड़कियों की तरह कभी भी इस प्रकार की जिद नहीं की! वह कभी भी ब्यूटीपार्लर नहीं जाती थी! ना ही वह अपनी सहेलियों की तरह बाकी चीजों का शौक रखती थी! अनु को बस कुछ करने का और पढ़ने का ही एक शौक रहा है! इसी शौक को पूरा करने के लिए परिवार ने भी उनकी मदद की!
अनु बताती है कि 12वीं क्लास के बाद उन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी हिन्दू कॉलेज में फिजिक्स से बीएससी में एडमिशन लिया! मगर यहां पर उन्होंने यह समस्या पाई कि वह अंग्रेजी को सही रूप से नहीं बोल पाती है! हालांकि अनु बताती है कि गांव में भी उसने अंग्रेजी पढ़ी थी! और वह इंग्लिश मीडियम स्कूल में भी पढ़ी थी! मगर इसके बाद भी जो हरियाणा में स्कूलों का माहौल रहा है यहां पर इस तरीके से अंग्रेजी नहीं बोली जाती है! यहां तक कि अंग्रेजी के अध्यापक भी अंग्रेजी में बातचीत नहीं करते हैं! इसलिए आदत नहीं होने के कारण अनु दिल्ली में अंग्रेजी को अच्छे तरीके से नहीं बोल पाती थी!
ठान लिया तो फिर ठान ही लिया! अनु ने भी यह ठान लिया था कि उन्हें जो अंग्रेजी की जो भी समस्या है इसको वह ठीक करेंगी! इसके बाद उन्होंने अपना पूरा ध्यान अंग्रेजी भाषा पर केंद्रित करना शुरू कर दिया और कुछ समय बाद इसी जुनून और सीखने की वजह से अनु फिर फराटेदार अंग्रेजी बोलने लगी! अब उनको अंग्रेजी भाषा से कोई समस्या नहीं थी! दिल्ली यूनिवर्सिटी से पढ़ाई करने के बाद अनु आईएमटी नागपुर से एमबीए की पढ़ाई करती हैं!
21 साल की उम्र में अनु ने पहली नौकरी की पहली नौकरी अनु की आई सी आई बैंक मुंबई में लग गई! यानी कि अनु का जो सफर हरियाणा सोनीपत से शुरू हुआ था वह पहले दिल्ली और फिर मुंबई चला गया! अनु अब नौकरी करने के लिए मुंबई चली गई थी! मगर अनु बताती है कि मुंबई का अपना एक की लाइफ स्टाइल है! वहां पर लोग काफी फैशन करते हैं! मगर अनु एक साधारण सी लड़की थी!
अनु बताती है कि मैं जब अपने ऑफिस में जाती थी तो बिल्कुल साधारण तरीके से जाती थी! मैं किसी प्रकार का फैशन नहीं करती थी! मैं किसी प्रकार के इस प्रकार के कपड़ों का प्रयोग नहीं करती थी! इन्हीं चीजों के लेकर उनके ऑफिस में काम करने वाले साथी उनका मजाक ही उड़ाते थे! कि यह कितनी साधारण सी दिखने वाली लड़की और इस प्रकार से ऑफिस में आती है! मगर अनु इन सब चीजों पर ध्यान नहीं देती थी! अनु सिर्फ अपने काम पर ध्यान देती थी अनु के काम को लेकर उनकी काफी तारीफ होती थी! वह काम को अच्छे तरीके से करती थी! अनु महसूस करती थी कि काम को करने के लिए इस प्रकार से सजना सवरना जरूरी नहीं होता! बल्कि काम को अच्छे तरीके से करना जरूरी होता है!
नौकरी छोड़ते वक़्त 20 लाख का पैकेज था
यूं तो अनु के लिए नौकरी को छोड़ना आसान नहीं था! क्योंकि जिस समय उन्होंने आईएएस बनने का फैसला लिया और इसकी तैयारी में जुट गई! उससे पहले अनु 20 लाख के पैकेज पर नौकरी कर रही थी! अनु बताती है कि उनके भाई ने लगातार उन्हें कहा कि उन्हें आईएएस की तैयारी करनी चाहिए और वह यह काम कर सकती है! लगातार उनके रिश्तेदारों ने भी कहा कि तुम्हें इसके लिए कोशिश करनी चाहिए!
यहां अनु का साथ दिया उनकी मौसी ने! गांव पुरखास में रहने वाली उनकी मौसी ने कहा कि हो सकता है कि नौकरी छोड़ने के बाद तुम अपने ससुराल में पढ़ाई सही से ना कर पाओ! तुम इसलिए हमारे पास आकर रहना शुरू कर दो! जहां पर तुम मन लगाकर अपना ध्यान केंद्रित करके अच्छे से पढ़ाई कर पाओगी!अनु ने उनके फैसले को मान लिया और अनु तैयारी करने के लिए सोनीपत के एक गांव पुरखास में आ गई!
गांव में इतने संसाधन तो नहीं होते हैं! फिर भी सीमित साधनों में अनु ने अपनी तैयारी शुरू कर दी! अनु ने किसी प्रकार की कोचिंग नहीं ली! उन्होंने स्वयं से पढ़ाई करके यह मुकाम हासिल किया! अनु बताती है कि उनकी मौसी ने उनकी काफी मदद की!जब तक उन्होंने वहां पर रहकर तैयारी की मौसी ने उन्हें सारी चीजें उपलब्ध करवाई! मौसी यहां तक भी ध्यान रखती थी कि कोई उन्हें डिस्टर्ब ना करें!
आखिरकार एक दिन उनकी मेहनत को सफलता में बदलने का दिन आ ही जाता है! और आईएएस के परिणाम घोषित हो जाते हैं! अनु ने दूसरी रैंक हासिल की! अनु की सफलता सिर्फ उन्हीं के लिए सफलता नहीं है! यह सफलता हर किसी के लिए है जो भी यह सोचते हैं कि उनकी जिंदगी में परेशानियां बहुत है अनु सबके लिए प्रेरणा का स्त्रोत है! पहले गांव से निकलकर खुद को इतना काबिल बनाना और फिर शादी के बाद भी इस प्रकार की परीक्षा की तैयारी करना और उसमें सफल हो जाना!
[ डिसक्लेमर: यह न्यूज वेबसाइट से मिली जानकारियों के आधार पर बनाई गई है. Lok Mantra अपनी तरफ से इसकी पुष्टि नहीं करता है. ]