लोगों के घर झाड़ू-पोछा कर मां ने बेटी की पढ़ाई पूरी करआई, बेटी ने डॉक्टर बन किया सपना पूरा

किसी भी सफल व्यक्ति के पीछे उसकी संघर्ष की कहानी अवश्य होती है जिसे सुनकर लोग प्रेरणा लेते हैं और अपने जीवन में आगे बढ़ने की कोशिश करते हैं ऐसी कहानियां किसी भी व्यक्ति को कुछ कर गुजरने की ऊर्जा प्रदान करती है जो इंसान गरीबी और मुश्किलों से लड़ झगड़ कर अपने जीवन में सफल बनता है उसके सफलता के पीछे कई और अन्य लोगों का भी हाथ होता है जैसे कि उनके माता-पिता तथा भाई-बहन आदि आज हम आपको ऐसी कहानी सुनाने वाले हैं उत्तर प्रदेश की डॉ अनीता के बारे में जिन्होंने अपनी परिस्थितियों से लड़ते हुए अपनी मां का नाम रोशन किया और उन्हें गौरवान्वित महसूस करें।
पति की मौत के बाद मां ने दिन रात मेहनत कर बेटी को पढ़ाया था
उत्तर प्रदेश के हमीरपुर जिले के एक छोटे से कस्बे मौदहा में रहने वाली हैं सुमित्रा जो सब्जी बेचने का काम किया करती थी परिवार में दो बेटे थे और तीन बेटियां सुमित्रा के पिता मेहनत मजदूरी कर घर का कामकाज करते रहे लेकिन 14 साल पहले किसी कारणवश उनके पति की मृत्यु हो गई जिसके कारण उनके ऊपर जिम्मेदारियों का पहाड़ टूट पड़ा लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और दिन-रात कार्य कर अपने घर को संभाला और अपने बच्चों की पढ़ाई पूरी करें उनकी बड़ी बेटी सुमित्रा का सपना था डॉक्टर बनकर गरीब लोगों की सेवा करें सुमित्रा का मानना था कि वह अपने जीवन में ना कुछ बन पाई और ना ही अपनी पढ़ाई पूरी कर पाएगी इसीलिए उन्होंने पूरी शिद्दत के साथ अपनी बेटी को पढ़ाया और उनकी बेटी ने उनका नाम भी रोशन किया।
खुशी के आंसू नहीं रुके थे, बेटी के डॉक्टर बनने पर
बड़ी बेटी के हाईस्कूल की परीक्षा में 7 फ़ीसदी अंक आए थे और उनके इंटरमीडिएट के परीक्षा में भी 75 फ़ीसदी अंक आए थे और उन्होंने अपने स्कूल में टॉप भी किया था इसीलिए इंटरमीडिएट की पढ़ाई के बाद उनकी माता श्री सुमित्रा ने उन्हें कानपुर के लिए रवाना किया और पीएमटी की परीक्षा की तैयारी करने को कहा अनीता ने 682 रैंक लाकर परीक्षा को पास किया और उसमें सफलता हासिल करें उनके अनुसार उन्हें इटावा के सैफई मेडिकल कॉलेज में दाखिला भी मिल गया दाखिला पाने के बाद उन्होंने अपनी पढ़ाई शुरू करो बेटा ने बताया कि जब उनका चयन सीपीएमटी में हो गया था तो उनकी माता श्री के उस वक्त आंसू नहीं रुक रहे थे पर वाह खूब फूट फूट कर रोई थी
बहन को पढ़ाई का खर्च पूरा कराने के लिए वेब भाई ने सब्जी की ठेली लगाना शुरू कर दिया और इन सभी के साथ-साथ खुद अनीता देवी नेवी अपने इंटरमीडिएट की पढ़ाई के बाद इमली और कैथा बेचकर अपनी पढ़ाई के लिए धन इकट्ठा किया था जहां उन्होंने सीपीएमटी की तैयारी करें उसी के साथ साथ उनकी मां को भरोसा है कि उनका छोटा बेटा भी अपने जीवन में सफल व्यक्ति बनेगा और उनकी बड़ी बहन की तरह उनकी छोटी बहन भी अपना नाम रोशन करेगी।
सुनीता ने कहा फ्री में करुँगी जरूरतमंदों का इलाज
अनीता ने अपने जीवन में बहुत गरीबी देखी है जिसके कारण उन्होंने डॉक्टर बनने के बाद निर्णय लिया कि वह गरीब और जरूरतमंद लोगों को फ्री में इलाज करेंगे और उनके जीवन में उनकी कुछ हद तक मदद करेंगे वह कहती है कि उनके पिता के ना होने के बाद मां और मेरे भाई की हौसले हो जाए उन्हें कभी पिता की फीस कमी महसूस नहीं होती और उन्हें जीवन में आगे बढ़ने की प्रेरणा दी उनकी कड़ी मेहनत और लगन का ही नतीजा है कि वह आज तो बनकर समाज की सेवा कर रही है उन्होंने कहा गरीबी के कारण जिस तरह मेरे पिता की मौत हो गई थी वैसे और किसी की मौत नहीं होनी चाहिए मैं हर संभव प्रयास में गरीबों की मदद करने को तैयार हूं।
[ डिसक्लेमर: यह न्यूज वेबसाइट से मिली जानकारियों के आधार पर बनाई गई है. Lok Mantra अपनी तरफ से इसकी पुष्टि नहीं करता है. ]