मजदूर स्त्री का राजनीति में आना उसके अपनो को नही आया पसंद, 5 साल तक चली लाल बत्ती में फिर करने लगी मजदूरी
दोस्तों आज हम आपको मध्यप्रदेश के शिवपुर जिले की आदिवासी महिला जूली के बारे में बताने जा रहे हैं। बताया जाता है कि एक समय वो था जब जूली लाल बत्ती की गाड़ी में चलती थी,और आज स्थिति यह है कि इन्हें पेट भरने के लिए बकरी चराने का काम करना पड़ रहा है।
पूरे देश में थी चर्चा
यह सचमुच हैरानी वाली बात है,लेकिन जिस तेजी से जूली ऊचाइयों पर पहुँची थीं, उतनी ही जल्दी वह जमीन पर आ गईं। बता दें कि आदिवासी महिला जूली एक मजदूर थीं। कोलासर के पूर्व विधायक रह चुके राम सिंह यादव ने जूली को यह सलाह दी थी कि पंचायत चुनाव लड़ें। और उनकी ही सलाह मान करके जूली ने चुनाव में खड़े होने का निर्णय लिया था।
विधायक जी की सहायता एवं अपनी एक अलग छवि होने के कारण इस चुनाव में जूली को जीत मिली। और उन्हें जिला पंचायत सदस्य के रूप में चयनित किया गया। इसके बाद धीरे धीरे जूली की लोकप्रियता बढ़ती गई। एक मजदूर महिला का यूँ पंचायत अध्यक्ष बन जाना लोगों के लिए प्रेरणा का विषय था। और जूली इसके लिए भी खड़ी हुई लोगों के भरोसे एवं साथ नही जूली को जिला पंचायत अध्यक्ष बना दिया।
राजनीति में हो गई सक्रिय
जूली को इस मुकाम पर देखना लोगों के लिए हैरानी की बात थी। मजदूर महिला का पंचायत अध्यक्ष बन जाना पूरे राज्य में चर्चा का विषय बन गया। जूली भी अब पॉलिटिक्स में पूरी तरह एक्टिव हो चुकी थी। उन्हें मंत्रियों वाली लाल बत्ती की गाड़ी भी मिल चुकी थी। लोगो ने जूली को मैडम कह कर संबोधित करने शुरू कर दिया था। जूली जनता की सहायता एवं अपना काम दोनों बहुत ही ईमानदारी से कर रही थी।
अपनों ने छोड़ा साथ
जूली का कहना है कि वो गरीब जरूरत मंद एवं ऐसे लोगों के ऊपर अधिक ध्यान देती थी जो मजदूर वर्ग से होते थे। उनकी यही बात उनके साथ के राजनैतिक लोगों को अच्छी नही लगती थी। और धीरे धीरे इन लोगों ने जूली का साथ छोड़ दिया।
बता दें कि 5 वर्ष बात जब दुबारा चुनाव लड़ने का समय आया तो किसी ने भी जूली का साथ नही दिया। और इसी कारण जूली हार गई। उनके पास खुद की प्रॉपर्टी के तौर पर कुछ भी नही था। ओसे में उनके उपर घर की भी जिम्मेदारियाँ आ गईं। जूली आर्थिक तंगी के दौर से गुजर रहीं थी और ऐसे में अपना पेट भरने के लिए इन्होंने बकरियाँ चराने का काम करना शुरू कर दिया।
इंदिरा आवास कॉलनी भी अधिकारियों ने हड़पी
जूली की हालत अब इतनी खराब हो चुकी है कि वे परिवार सहित सरकारी जमीन पर झोपड़ा बना करके रहती हैं। जूली बताती हैं कि इंदिरा आवास के तहत उन्हें कॉलोनी प्राप्त हुई थी। मगर अधिकारी एवं प्रदान मिल करके उसकी कॉलनी का पैसा हड़प गए। वर्तमान में जूली बकरी पालन करके अपना गुजारा करती हैं।