जानें कौन हैं विकास दिव्यकीर्ति और यूपीएससी उम्मीदवार उन्हें क्यों करते हैं इतना पसंद?

सिविल सेवा के सबसे सम्मानित शिक्षकों में से एक माने जाते हैं। डॉ. दिव्यकीर्ति छात्रों के बीच इतने लोकप्रिय क्यों हैं? क्यों उन्हें इतना पसंद किया जाता है? Quora पर इसे लेकर कुछ छात्रों ने अपने विचारों को साझा किया हैः-
हिंदी मीडियम के छात्रों के लिए लड़ी लड़ाई
एक रिपोर्ट के अनुसार, CSAT ( सिविल सर्विसेज एप्टीट्यूड टेस्ट) के मॉडल आंसर, अंग्रेजी भाषा में ही उपलब्ध हैं। छात्रों के लिए हिंदी या फिर अन्य भाषा में काफी कम सामग्री है। कई बार तो उनका अनुवाद भी नहीं मिल पाता। स्थानीय भाषा में परीक्षा देने वाले उम्मीदवार लंबे समय से प्रश्नों के अपर्याप्त अनुवाद के अलावा मूल्यांकन प्रक्रिया में भाषा पूर्वाग्रह का आरोप लगाते रहे हैं।
मशीन लर्निंग इंजीनियर निशांत कुमार, डॉ़ दिव्यकीर्ति को ‘21वीं सदी के हर्षद मेहता’ कहते हैं। वह लिखते हैं, “यह टीचर हमेशा अपने छात्रों के लिए आगे आया है और उनके मुद्दों को बड़ी मजबूती के साथ उठाया है। उन्होंने हिंदी मीडियम के छात्रों के लिए CSAT (पैटर्न) के खिलाफ़ लड़ाई लड़ी। जब मैं उनके वीडियोज़ देखता हूं, तो मुझे उनसे काफी प्रेरणा मिलती है। मैं हर विषय के बारे में और ज्यादा से ज्यादा सीखना चाहता हूं। पर वह हिंदी भाषा के लिए ज्यादा जाने जाते हैं।”
दिव्यकीर्ति के अनुसार, जब तक परिणाम ‘समान प्रतिनिधित्व’ नहीं दिखाते, तब तक उम्मीदवार अपनी तैयारी को लेकर आशंकित रहेंगे। उन्होंने कहा, “हमारे देश में कई भाषाएं बोली जाती हैं और यही सामाजिक और भाषाई विविधता इस देश के भविष्य को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। UPSC को इसके बारे में सोचना चाहिए। सिर्फ अंग्रेजी ही नहीं, बल्कि सभी भाषाओं से जुड़े लोग ब्यूरोक्रेसी में शामिल हो सकें, इसके लिए योजना तैयार की जानी चाहिए। वरना यह औपनिवेशिक युग की प्रशासनिक व्यवस्था की तरह होकर रह जाएगी, जहां सिर्फ कुलीन और संपन्न व्यक्ति ही लोगों पर राज किया करते थे।“
पढ़ाने का अनोखा अंदाज और ग्रेट सेंस ऑफ ह्यूमर
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डॉ. दिव्यकीर्ति ने दिल्ली यूनिवर्सिटी के हिंदी साहित्य से एमए, एमफिल और पीएचडी की है। उनके माता-पिता दोनों हिंदी साहित्य के प्रोफेसर रह चुके हैं। इसके अलावा, वह दिल्ली विश्वविद्यालय और भारतीय विद्या भवन से अंग्रेजी से हिंदी अनुवाद में पोस्ट ग्रेजुएट भी हैं।
सिनर्जी मरीन ग्रुप से जुड़े अवनीश कुमार ने विकास दिव्यकीर्ति के सभी वीडियोज़ देखे हैं। वह लिखते हैं, “पढ़ाने का अनूठा अंदाज उनकी बढ़ती लोकप्रियता की वजह है। लेकिन इस अंदाज के अलावा, उनकी और भी बहुत सी खासियतें हैं, जैसे- उनका सेंस ऑफ ह्यूमर (आप उनके सिखाने के तरीके से कभी बोर नहीं हो सकते) उनका सादा व्यक्तित्व, शांत स्वभाव और हिंदी भाषी छात्रों के लिए उनका प्यार और समर्थन।”
पश्चिम बंगाल के 19 साल के छात्र आलोक कुमार कहते हैं, “मैंने विकास सर के ‘यूनिफॉर्म सिविल कोड’ अवधारणा पर बनाए गए वीडियो से देखना शुरू किया था और एक महीने के अंदर मैंने उनकी सभी वीडियोज़ देख डालीं। आपको यह जानकर हैरानी होगी कि मैंने साइंस स्ट्रीम छोड़कर ‘लॉ’ की तरफ रुख किया है। जिस तरह से सर पढ़ाते हैं, वास्तव में बहुत अच्छा है। वह किसी भी विषय के बारे में बिल्कुल जीरो से शुरुआत करते हैं और आखिर तक आते-आते उसकी पूरी जानकारी आपके सामने होती है। आप उस विषय के विशेषज्ञ बन जाते हैं।”
सिर्फ UPSC ही नहीं, किसी भी परीक्षा की तैयारी में मिलती है मदद
Quora के अन्य यूजर, जो पेशे से एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं लिखते हैं, “डॉ दिव्यकीर्ति का करिश्माई व्यक्तित्व उन्हें छात्रों के बीच लोकप्रिय बना रहा है। हिंदी भाषा के उम्मीदवारों के लिए तो वह एक प्रेरणा हैं। उनका पढ़ाने का तरीका इतना सुकून देने वाला है कि कुछ ही मिनटों में आप निराशा से आशा की तरफ आ जाते हैं और आपका पूरा ध्यान अपने लक्ष्य पर आकर टिक जाता है।”
बीटेक के छात्र अभिनव सिंह सिविल सेवा में जाने की चाह नहीं रखते। लेकिन इसके बावजूद वह नियमित रूप से दिव्यकीर्ति के वीडियोज़ देखते हैं। उन्होंने कहा, “मेरे हिसाब से सभी को उनके निबंध लेखन और साक्षात्कार की तैयारी को लेकर बनाए गए वीडियोज़ देखने चाहिए। जरूरी नहीं है कि आप सिविल सेवा परीक्षा दे रहे हों, तभी इन्हें देखें। ये ऐसे वीडियोज़ हैं, जो किसी भी प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी में आपकी मदद कर सकते हैं। अगर आप किसी भी विषय पर निष्पक्ष राय सुनना चाहते हैं, तो इसके लिए सिर्फ एक ही शख्स हैं- दिव्यकीर्ति।”
अभिनव की बहन CSE की तैयारियों में जुटी हैं। वह हिंदी भाषा की उम्मीदवार हैं और समकालीन खबरों के लिए मासिक पत्रिका ‘दृष्टि करंट अफेयर्स टुडे‘ उनकी पहली पसंद है। दिव्यकीर्ति इस पत्रिका के प्रमुख संपादक हैं।
यूपीएससी की तैयारी के लिए कुछ खास टिप्स
दिव्यकीर्ति के अनुसार, उम्मीदवारों को यूपीएससी सिविल सेवा आईएएस प्रीलिम्स को, मुख्य परीक्षा में बैठने के लिए केवल एक क्वालीफाइंग एग्जाम के तौर पर देखना चाहिए। वह टारगेट सेग्मेंट का चयन करने के लिए एक आदर्श स्कोर निर्धारित करने और तैयारी के दौरान समय-सारिणी का पालन करने के लिए कहते हैं।
उनका कहना है कि किसी भी सवाल के बेहतर जवाब के लिए सकारात्मक और नकारात्मक दोनों पहलुओं को शामिल किया जाना चाहिए। इसके साथ ही डॉ. दिव्यकीर्ति प्रश्न के महत्वपूर्ण पक्ष को सामने रखने की सलाह भी देते हैं। वह पिछले कुछ सालों के प्रश्नपत्र को हल करने और खुद को प्रेरित रखने के लिए आईएएस अधिकारियों की सफलता की कहानियां पढ़ने के लिए कहते हैं।
[ डिसक्लेमर: यह न्यूज वेबसाइट से मिली जानकारियों के आधार पर बनाई गई है. Lok Mantra अपनी तरफ से इसकी पुष्टि नहीं करता है. ]