बेटी ने ढूंढा अपनी विधवा माँ के लिए जीवनसाथी, समाज की पिछड़ी सोच को तोड़ करवाई दूसरी शादी

बेटी ने ढूंढा अपनी विधवा माँ के लिए जीवनसाथी, समाज की पिछड़ी सोच को तोड़ करवाई दूसरी शादी

दोस्तों हमारे समाज में विधवा औरतों की जिन्दगी कितनी मुश्किल भरी होती हैं ये कड़वा सच किसी से छिपा नहीं हैं. यहाँ जब एक औरत विधवा हो जाती हैं तो उसकी दूसरी शादी की बात सुन लोग तरह तरह की बात करते हैं. खासकर कि 40 के बाद विधवा होने पर यदि कोई औरत दुबारा शादी रचाए तो समाज के कुछ ठेकेदारों को ये बात हजम नहीं होती हैं.

लेकिन जयपुर की रहने वाली संहिता अग्रवाल ने समाज की परवाह ना करते हुए अपनी 53 वर्षीय विधवा माँ गीता अग्रवाल की दुबारा शादी करवा के एक नई मिसाल कायम की हैं. दरअसल सोशल मीडिया प्लेटफार्म Quora पर किसी ने सवाल किया था कि ‘अपनी लाइफ में आप ने कौन सा ऐसा काम किया जिस पर आपको सबसे ज्यादा गर्व हैं?”

इस पर सहिंता ने लिखा था कि “मेरी विधवा माँ की दुबारा शादी कराने के निर्णय पर मुझे गर्व हैं.” इसके साथ ही संहिता ने इस निर्णय को लेने के पीछे की दिल को छू लेने वाली कहानी भी सुनाई जो हम आपके सामने पेश कर रहे हैं. संहिता कहती हैं कि…

“मेरे पिता कि 52 वर्ष में मृत्यु हो जाने के बाद मैं, मेरी बड़ी बहन और मेरी 50 वर्षीय माँ अकेले रह थे. वो समय हमारे लिए काफी दुखद था. पापा की मौत के 6 महीने बाद भी मैं और मेरी माँ उन जगहों को देख रोया करते थे जहाँ हम पापा के साथ बैठ बाते करते थे, साथ मिल खाना खाते थे. मेरी बहन के शादीशुदा होने के कारण उसने खुद को अपने परिवार में व्यस्त कर लिया था. लेकिन मैं और मेरी माँ पापा को खोने के गम में रोज आंसू बहाया करते थे.

मुझे अभी भी याद हैं कैसे मेरी माँ भगवान की मूर्ति के सामने चीखा करती थी ‘आखिर क्यों छीन लिया तूने मेरे पति को’ जब मैं दफ्तर से शाम को घर लौटती थी तो मेरी माँ सीढ़ी पर उदास बैठी रहती थी. वो मुझे देख थोड़ी राहत की सांस लेती थी कि चलो कुछ देर के लिए ही सही वो अपने आप को मेरे साथ व्यस्त रख पाएगी. मैं तो फिर भी कुछ समय दफ्तर में व्यस्त होने के कारण पापा का गम भूल जाती थी लेकिन मेरी माँ दिनभर घर पर अकेली रह पापा को याद कर उदास हुआ करती थी. कभी कभी वो रात में पापा का नाम पुकारती थी और सपने से अचानक जाग पूछती थी कि पापा कहा हैं?

इसके बाद मुझे मेरी जॉब की वजह से दुसरे शहर जाना पड़ा. मैंने अपने शहर में जॉब की बहुत तलाश की लेकिन मुझे मेरे हिसाब से जॉब नहीं मिल सकी. मैं जब बाहर जॉब करने लगी तो वीकेंड पर माँ से मिलने घर आ जाया करती थी. मैं सोचती थी कि शनिवार रविवार ही सही लेकिन सप्ताह में दो दिन माँ का ध्यान कही और भटका पाऊँगी. मैं नौकरी छोड़ने की बात करती थी तो माँ कहती थी तू नौकरी मत छोड़े मैं अपना ख्याल रख लूंगी.

जब नए शहर में नौकरी कर मुझे 3 महीने हो गए तो मैंने सोचा कि बस अब बहुत हो गया. अब मुझे माँ के लिए कुछ करना होगा. बस तभी मैंने माँ की दुबारा शादी करवाने का निर्णय लिया. मैंने मैट्रीमोनी वेबसाइट पर अकाउंट बनाया और माँ के लिए रिश्ता तलाशने लगी. मैं माँ के लिए एक ऐसा व्यक्ति चाहती थी जो खुद भी अपने पार्टनर को खो चुका हो ताकि वो मेरी माँ का दर्द समझ सके. मैंने कई लोगो से बात की और अंत में मेरी तलाश KG गुप्ता (55) नाम के व्यक्ति पर ख़त्म हुई. वो मुझे काफी समझदार लगे. उन्होंने भी अपनी पत्नी को केंसर की वजह से खो दिया था. इसलिए वो मेरे माँ के जजबातों को अच्छे से समझ सकते थे.

माँ के लिए जीवनसाथी की तलाश के बाद सबसे मुश्किल काम था माँ को शादी के लिए मनाना. जब मैं उन्हें दूसरी शादी की बात कही तो उन्होंने कहा कि ‘समाज क्या कहेगा? लोग ताने मरेंगे. इस से अच्छा तो मैं जीवनभर अकेली रह लुंगी.’ लेकिन मैं उन्हें समझाया कि जब आप 80 वर्ष के हो जाओगे, बीमार रहोगे तब आपकी देख रेख के लिए ये रिश्तेदार या समाज नहीं आएगा. ऐसे समय में सिर्फ जीवनसाथी ही काम आता हैं. आप समाज के लिए अपनी जिन्दगी मत जिओ. आप अपने लिए अपनी जिन्दगी जिओ.

इसके बाद मेरी माँ मान गई और हमने 53 वर्ष की उम्र में उनकी दूसरी शादी करवा दी. आज मेरी माँ अपने नए जीवनसाथी के साथ बहुत खुश हैं. मैं जब भी उनसे फोन पर बात करती हूँ तो वो अब यह नहीं कहती कि मैं अपना ख्याल रख लुंगी बल्कि वे कहती हैं कि ‘ये मेरा बहुत अच्छे से ख्याल रखते हैं.’ मुझे अपनी माँ की दूसरी शादी करवाने पर काफी गर्व हैं.”

दोस्तों इस कहानी को आप लोगो के साथ शेयर करने के पीछे हमारा एक ही मकसद था कि हम अपनी पिछड़ी सोच को बदले. आज के समय में हर किसी को एक ऐसे साथी की जरूरत होती हैं जो उसका ख्याल रख सके, जिसके साथ वो अपने सुख दुःख बाँट सके. ऐसे में यदि कोई विधवा या तलाकशुदा महिला दूसरी शादी करती हैं, चाहे उसकी उम्र कोई भी हो, तो हमें उसके इस फैसले की सराहना करनी चाहिए ना कि उसे ताने मारने चाहिए.

[ डि‍सक्‍लेमर: यह न्‍यूज वेबसाइट से म‍िली जानकार‍ियों के आधार पर बनाई गई है. Lok Mantra अपनी तरफ से इसकी पुष्‍ट‍ि नहीं करता है. ]

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