देश की पहली नेत्रहीन IAS अधिकारी , रेलवे ने नौकरी देने से किया था इनकार
दोस्तों आज हम आपके साथ देश की पहले नेत्रहीन महिला आईएएस की संघर्ष एवं प्रेरणा भरी कहानी साझा करने जा रहे हैं। आज हम बात कर रहे हैं प्रांजल पाटिल की।
लोग एक बार जिस परीक्षा को उत्तीर्ण नहीं कर पाते उस परीक्षा को प्रांजल पाटिल ने दो दो बार अच्छे रैंक से उत्तीर्ण किया ।आइए जानते हैं कौन है आइएएस प्रांजल पाटिल ।
कौन हैं IAS प्रांजल पाटिल
आईएएस प्रांजल पाटिल महाराष्ट्र के उल्लास नगर की रहने वाली है । बचपन से ही इन्हें पढ़ाई में बहुत रुचि थी लेकिन एक हादसे ने प्रांजल के जीवन को पूरी तरह से बदल कर रख दिया। जब प्रांजल छठी क्लास में थी तभी सहपाठी की पेंसिल भूल सड़ उनकी आंख में लग गई थी । जिसके बाद उनकी आंखें खराब हो गई थी।
प्रांजल कि आंख सही नहीं हो पाई थी और साल भर के अंदर ही उनकी दूसरी आंखों की रोशनी भी हमेशा के लिए चली गई। लेकिन उन्होंने रुक नहीं स्वीकार किया और उनकी मेहनत और जुनून ने उन्हें आज आईएस प्रांजल पाटिल बना दिया है ।
ब्रेन लिपि में पूरी की पढ़ाई
बता दें कि अपनी आंखों की रोशनी खोने के बाद प्रांजल ने अपने जीवन की इस विपदा को पूरी तरह से अपना लिया था। क्योंकि उनके पास इसके अलावा कोई और विकल्प भी नहीं था। उन्होंने यह तय कर लिया कि वह दूसरों के ऊपर बोझ नहीं बनेगी बल्कि खुद को आत्मनिर्भर बनाएंगी। प्रांजल ने ब्रेल लिपि के माध्यम से अपनी पढ़ाई शुरू की और दोबारा उसी लगन से पढ़ाई करने लगी जैसे वह बचपन से किया करती थी ।
सॉफ्टवेयर ने की सहायता
अपनी पढ़ाई को बेहतर परिणाम देने के लिए प्रांजल ने तकनीकों का भी सहारा लिया। उन्होंने एक खास सॉफ्टवेयर के सहायता से भी अपनी पढ़ाई शुरू की। इस सॉफ्टवेयर की विशेषता यह थी कि इसमें कोई भी पाठ पढ़ के सुनाया जाता था । यह सॉफ्टवेयर किताब के पाठ को स्कैन करता था और फिर पढ़ करके सुनाता था। इसकी मदद से ही प्रांजल ने यूपीएससी परीक्षाओं की पूरी तैयारी की।
दिल्ली से ली पी एच डी की डिग्री
बता दे कि प्रांजल ने अपने दसवीं की पढ़ाई मुंबई के दादर स्थित श्रीमती कमला नेहरू विद्यालय से पूरी की थी। इस स्कूल में ही उन्हें ब्रेन लिपि की शिक्षा प्राप्त हुई । उन्होंने चंदाबाई कॉलेज से बारहवीं उत्तीर्ण किया। और स्नातक सेंट जेवियर कॉलेज से पूरा किया। इसके बाद प्रांजल ने दिल्ली के जेएनयू महाविद्यालय से एम ए, एम फिल एवं पीएचडी की डिग्री भी हासिल की । पोस्ट ग्रेजुएशन के दौरान ही उन्हें यूपीएससी की परीक्षाओं के बारे में मालूम हुआ। और इसी दौरान उन्होंने अपना लक्ष्य चुन लिया कि उन्हें आईएएस अफसर बनना है।
सरकारी नौकरी में हो चुकी थी चयनित
प्रांजल ने पढ़ाई के साथ-साथ यूपीएससी की परीक्षाओं की तैयारी भी शुरू कर दी। बता दे यूपीएससी की परीक्षा देने से पहले भी प्रांजल सरकारी नौकरियों के लिए फॉर्म भर चुकी थी। प्रांजल पढ़ाई में अच्छी छात्रा थी इसीलिए अधिकतर नौकरियों में उनका चयन हो जाता था। लेकिन उन्हें आंखों की रोशनी ना होने के कारण निराशा का सामना करना पड़ता था। बता दें कि एक बार भारतीय रेलवे में भी प्रांजल का चयन हो गया था लेकिन नेत्रहीन होने के कारण उन्हें नौकरी देने से मना कर दिया गया था।
इंडियन रेवेन्यू सर्विसेज से हुई बाहर
प्रांजल ने यूपीएससी की परीक्षा दी और साल 2016 में 773 रैंक हासिल की। उस वक्त प्रांजल को इंडियन रेवेन्यू सर्विस में नियुक्त किया गया। ट्रेनिंग के दौरान ही प्रांजल को काफी समस्याओं का सामना करना पड़ा। और उन्हें ट्रेनिंग के बीच में है नेत्रहीन होने के कारण नौकरी देने से मना कर के बाहर कर दिया गया।
नही मानी हार बनी गई आईएएस अधिकारी
लेकिन इसके बाद भी प्रांजल ने हिम्मत नहीं हारी। उन्होंने दोबारा से यूपीएससी की परीक्षा दी और साल 2017 में एक बार फिर प्रयास किया । इस पर प्रांजल ने 124 वीं रैंक हासिल की। प्रांजल ने अपने परिश्रम एवं दृढ़ संकल्प के कारण अपने सपने को पूरा किया । वर्तमान में वह केरल की तिरुवनंतपुरम में कार्यरत है। प्रांजल हमारे लिए एक उदाहरण एवं मिसाल है । कि चाहे कितनी भी कठिनाई आ जाए हमें परिश्रम का साथ नहीं छोड़ना चाहिए।