अज्ञात दानी ने काशी विश्वनाथ मंदिर में दान किया 60 Kg सोना, कीमत 30Cr, जगमगा उठा बाबा का दरबार!

महाशिवरात्रि के अवसर पर काशी विश्वनाथ मंदिर तथा एक श्रद्धालु चर्चा में हैं. अपनी भक्ति दर्शाते हुए इस श्रद्धालु ने मंदिर में 60 किलोग्राम सोना दान किया है. बड़ी बात ये है कि एक तरफ जहां लोग थोड़ा बहुत दान करने के बाद भी सुर्खियों में आना चाहते हैं, वहीं इस श्रद्धालु ने गुप्त दान किया है.
दान किया 60 किलो सोना
इस गुप्त दानी द्वारा दान किये गए 60 किलो सोने में से 37 किलोग्राम सोने गर्भगृह की भीतरी दीवारों पर इस्तेमाल किया गया है. 13 दिसंबर को काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के उद्घाटन से पहले मंदिर प्रशासन से एक श्रद्धालु ने भेंट की थी. उन्होंने दान तो किया लेकिन प्रशासन से अपना नाम जाहिर करने से मना कर दिया. मंदिर में चढ़ाया 60 किलो सोना
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार इस खबर की पुष्टि करते हुए डिविजनल अधिकारी दीपक अग्रवाल ने कहा कि एक अज्ञात श्रद्धालु द्वारा मंदिर के लिए 60 किलोग्राम सोना दान किया गया है. जिसमें से 37 किलो का इस्तेमाल गर्भगृह की भीतरी दीवारों पर किया गया है तथा शेष 23 किलो सोना बचा हुआ है.
श्रद्धालु का गुप्त दान
Kashi Vishwanath gets a Golden Makeover
Ahead of Maha Shivratri tomorrow, Garbh Grih in Kashi Vishwanath Temple has been decorated with 60 kg gold donated by an anonymous Bhakt from South India
Before this, Maharaja Ranjeet Singh had donated gold for temple’s Shikhar in 1853 pic.twitter.com/I9gK4EUSId
— The Uttar Pradesh Index (@theupindex) February 28, 2022
देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 13 दिसंबर 2021 को काशी विश्वनाथ कॉरिडोर का उद्घाटन किया था. इस उद्घाटन से ठीक पहले एक श्रद्धालु मंदिर के अधिकारियों के संपर्क में आया तथा सोने के दान का प्रस्ताव रखा. दान मिलने के बाद मंदिर के अधिकारियों ने यह फैसला किया कि दान किए गए सोने का इस्तेमाल गर्भगृह की भीतरी दीवार और मुख्य मंदिर के गुंबद के निचले हिस्से पर सोने की परत चढ़ाने के लिए किया जाएगा.
दीपक अग्रवाल के अनुसार दिल्ली की एक फर्म इस काम को अंजाम देने में लगी हुई थी. फर्म के कारीगरों ने गर्भगृह की कलात्मक दीवारों की ताम्रपत्रों से ढलाई की. इसे दीवार से ठीक करने के बाद इसमें सोने की परत चढ़ाने की प्रक्रिया की गई. बता दें कि महाशिवरात्रि से भक्तों को सोने के पत्तर देखने अनुमति दी जाने वाली थी.
दूसरी बार चढ़ा इतना सोना
18वीं शताब्दी के बाद मंदिर के किसी भी हिस्से पर सोने की परत चढ़ाने का ये दूसरा सबसे बड़ा काम है. काशी विश्वनाथ मंदिर के इतिहास के अनुसार, 1777 में इंदौर की रानी महारानी अहिल्याबाई होल्कर द्वारा मंदिर के पुनर्निर्माण के बाद, पंजाब के महाराजा रणजीत सिंह ने लगभग एक टन सोना दान किया था, जिसका इस्तेमाल मंदिर के दो गुंबदों को ढंकने के लिए किया गया था.
काशी विश्वनाथ धाम कॉरिडोर के नाम से 900 करोड़ रुपये से अधिक की परियोजना शुरू की गई थी, जिसके तहत 300 से अधिक इमारतों को खरीदा गया था. जिससे कि इन्हें हटा कर मंदिर क्षेत्र को 2,700 वर्ग फुट से 5 लाख वर्ग फुट तक विस्तारित कर जलासेन, मणिकर्णिका और ललिता घाटों के माध्यम से गंगा नदी के साथ इसका सीधा संपर्क किया जा सके.
[ डिसक्लेमर: यह न्यूज वेबसाइट से मिली जानकारियों के आधार पर बनाई गई है. Lok Mantra अपनी तरफ से इसकी पुष्टि नहीं करता है. ]