सरकारी कर्मचारी की विधवा का गोद लिया बच्चा पारिवारिक पेंशन का हकदार नहीं, सुप्रीम कोर्ट ने बरकरार रखा हाईकोर्ट का फैसला
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि सरकारी कर्मचारी की मौत के बाद उसकी विधवा द्वारा गोद लिया गया बच्चा पारिवारिक पेंशन का हकदार नहीं होगा. जस्टिस के.एम. जोसेफ और जस्टिस बी.वी.
नागरत्ना ने कहा कि मृतक सरकारी कर्मचारी की मौत के बाद उसके बच्चे का जन्म होता है, इसकी तुलना एक ऐसे मामले से की जानी चाहिए, जहां एक बच्चे को सरकारी कर्मचारी की विधवा द्वारा गोद लिया जाता है.
पीठ ने अपने फैसले में कहा, ‘उत्तराधिकारियों की पूर्व श्रेणी परिवार की परिभाषा के अंतर्गत आती है, क्योंकि ऐसा बच्चा मृत सरकारी कर्मचारी का मरणोपरांत बच्चा होगा. इस तरह के मरणोपरांत बच्चे को पेंशन पाने का अधिकार नहीं मिल सकाता.”
पीठ ने नवंबर 2015 में पारित बॉम्बे हाईकोर्ट के आदेश को बरकरार रखा, जिसमें कहा गया था कि केंद्रीय सिविल सेवा नियम, 1972 के नियम 54 के तहत, गोद लिया बच्चा पारिवारिक पेंशन का हकदार नहीं होगा.
शीर्ष अदालत ने कहा, ‘यह आवश्यक है कि परिवार पेंशन के लाभ का दायरा केवल सरकारी कर्मचारी द्वारा अपने जीवनकाल के दौरान कानूनी रूप से गोद लिए गए बेटे या बेटियों तक ही सीमित हो. सीसीएस के तहत परिवार की परिभाषा संकीर्ण है। नियम, ‘पारिवारिक पेंशन’ की पात्रता के विशिष्ट संदर्भ में और सरकारी सेवक के संबंध में.’
इसमें कहा गया है, ‘इसलिए, सीसीएस नियमों के नियम 54 में ‘दत्तक ग्रहण’ शब्द, परिवार पेंशन के अनुदान के संदर्भ में, सरकार द्वारा किए गए गोद लेने तक सीमित होना चाहिए. सरकारी सेवक की मृत्यु के बाद उसके जीवित पति/पत्नी द्वारा गोद लिए जाने के मामले में इसे विस्तारित नहीं किया जाना चाहिए.’
शीर्ष अदालत ने कहा कि मृतक सरकारी कर्मचारी का दत्तक बच्चे के साथ कोई संबंध नहीं होगा, जिसे मरणोपरांत बच्चे के विपरीत उसके निधन के बाद गोद लिया गया होगा. शीर्ष अदालत ने दत्तक पुत्र श्रीराम श्रीधर चिमुरका द्वारा दायर अपील को खारिज कर दिया.
चिमुरकर नागपुर में राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण संगठन में अधीक्षक के पद पर कार्यरत थे. वह 1993 में अधिवर्षिता प्राप्त करने के बाद सेवानिवृत्त हुए. 1994 में नि:संतान होने के कारण उनकी मृत्यु हो गई, उनकी पत्नी ने अप्रैल 1996 में अपीलकर्ता को गोद ले लिया. दत्तक पुत्र ने केंद्र से मृत सरकारी कर्मचारी के परिवार को देय पारिवारिक पेंशन का दावा किया, जिसे सरकार ने खारिज कर दिया